यात्रा पर्यटन

ऐसी थी काठगोदाम से अल्मोड़ा की पैदल राह

बरेली शहर स्टेशन से काठगोदाम आने वाली दो ट्रेने एक सवेरे छः बजे और दूसरी रात के दस ग्यारह बजे छूटती है. पहली दिन के 12 बजे के करीब काठगोदाम पहुंचा देती है और दूसरी सवेरे पांच बजे के करीब. यात्रियों को बरेली से काठगोदाम का टिकट लेना चाहिये. काठगोदाम में मोटर और लारियाँ चलाने वाली कई कम्पनियाँ हैं, जो स्टेशन से अल्मोड़ा तक यात्रियों को बहुत आसानी से पहुंचा देती है. सारे मोटर का किराया गर्मी की ऋतु में पचहत्तर रुपये देने पड़ते हैं. लारी वाले ग्राहक की सूरत देखकर अपने टके सीधे कर लेते हैं इसलिए उनके साथ बड़ी चैतन्यता से किराया ठीक करना चाहिये.
(Kathgodam to Almora Old Route)

 काठगोदाम स्टेशन से अलमोड़ा मोटर के रास्ते 80 मील है और काठगोदाम में एक अच्छा हिन्दुस्तानी डाक बङ्गला है, जहां यात्रियों को बड़ा आराम मिलता है. यदि काठगोदाम प्रातःकाल 7 बजे पहुंचे तो उसी समय लारी में बैठकर रवाना होने से शाम को यात्री अल्मोड़ा पहुंच सकता है. दिन के बारह बजे यदि काठगोदाम से लारी में चले तो रास्ते में रानीखेत रात काटनी पड़ती है. इसलिए अच्छा यह है कि काठगोदाम से प्रातःकाल लारी पर सवार हो ताकि संध्या को अल्मोड़ा पहुंच सकें.

रानीखेत अच्छी बड़ी छावनी है जहां गोरी पल्टनें मजा लूटने के लिए गर्मी के दिनों में आ जाती है. असल में सब से अच्छा पैदल चलना है. जिसको पहाड़ का आनंद लेना हो उसे लारी में अपना सामान लदवा कर अल्मोड़ा भेज देना चाहिये और अपने असबाव की रसीद लारी वाले से ले लेना उचित है बोझ पहिले भेज कर आप मज़े मज़े पैदल चलिये, तभी पहाड़ की यात्रा का सुख मिल सकता है.
(Kathgodam to Almora Old Route)

काठगोदाम से अलमोड़ा 37 मील है. रेलवे स्टेशन से दो मील चलकर पहाड़ की चढ़ाई प्रारम्भ हो जाती है. 13 मील की चढ़ाई है इसके बाद उतार शुरू हो जाता है. चार मील का उतार है. काठगोदाम से चला हुआ यात्री भीमताल होता हुआ शाम को रामगढ़ पहुंच सकता है. भीमताल काठगोदाम से आठ मील पर है. यहां पर ठहर कर भोजनार्थ जलपान कर लेना चाहिए. यहां खाने पीने की चीजें सब मिलती हैं. अच्छा रमणीक स्थान है.

रामगढ़ में भी दुकानें हैं, सब खाद्य वस्तुएँ बिकती हैं. रामगढ़ में रात को ठहरने के लिए दुकानदारों के पास प्रवन्ध हो सकता है, बंगला भी है, स्कूल में भी योग्य सज्जन ठहर सकते हैं. स्कूल, डाक बंगले से डेढ़ मील नीचे है वहां भी हलवाई की दुकानें हैं. रामगढ़ से सबेरे चलकर शाम को पांच बजे या इससे पहले अल्मोड़ा अच्छी तरह पहुंच सकते हैं.

रास्ते में दस मील पर प्यूड़ा का पड़ाव है. यहां कुछ देर ठहर कर सुस्ताना ठीक होगा. यहां का जल घड़ा गुणकारी है. रामगढ़ से प्यूड़ा पहुंचने में रास्ता बहुत अच्छा है, सुन्दर सड़क है, दृश्य मनोहर है. केवल सवा मील की कठिन चढ़ाई है. प्यूड़ा से आगे पांच मील का उतार है. इसके इसके बाद अल्मोड़ पहाड़ की चढ़ाई शुरू होती है.

यहां पर दो पहाड़ी नदियों का संगम है और पुल बंधा है. अल्मोड़ा की साढ़े चार मील की चढ़ाई चढ़ने पर शहर में पहुंच जाते हैं.
(Kathgodam to Almora Old Route)

यह लेख स्वामी सत्येव परिब्राजक द्वारा 1926 में लिखे यात्रा वृत्तांत का हिस्सा है.

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