कालाढूंगी नैनीताल जिले का एक छोटा सा शहर है जो कि पर्यावरणविद और शिकारी जिम कार्बेट के घर के कारण काफी लोकप्रिय है. जिम कार्बेट ने अपने जीवन का अधिकांश हिस्सा कालाढूंगी से 2 किमी पश्चिम की ओर रामनगर रोड पर स्थित छोटी हल्द्वानी में बिताया. जिसे सरकार ने अब जिम कार्बेट म्यूजियम के रूप में तब्दील कर दिया है. जिम कार्बेट म्यूजियम के कम्पाउंड में ही उसके दो कुत्तों की कब्र भी है.
कार्बेट म्यूजियम पूरे वर्ष भर खुला रहता है. यह म्यूजियम वर्ष में केवल होली के दिन बंद होता है. रामनगर से इस म्यूजियम की दूरी 30 किमी है. म्यूजियम में जिम कार्बेट के निजी सामान रखे हैं जैसे उनकी बन्दूक, कैप, बैग और जाल रखे हैं. यहां जिम कार्बेट के हस्तलिखित रिकार्ड भी रखे गये हैं. कालाढूंगी से कार्बेट फाल की दूरी 4 किमी है.
कालाढूंगी कुमाऊं के पहाड़ों की तलहटी पर बसा शहर है. हल्द्वानी के पश्चिम में बसा यह छोटा सा शहर हल्द्वानी शहर से तीस किमी की दूरी पर है. कालाढूंगी से नैनीताल की दूरी तीस किमी है. कालाढूंगी पर्यटकों के बीच देश विदेश में लोकप्रिय है जिसकी मुख्य वजह जिम कार्बेट पार्क है.
रामनगर से नैनीताल जाने वाले रास्ते में कालाढूंगी रोड से अत्यंत सुंदर प्राकृतिक दृश्य भी दिखते हैं. शाम के समय इस रोड का सफ़र और भी सुहाना हो जाता है.
कालाढूंगी क्षेत्र काफी उपजाऊ है. यहां सब्जियों और फलों का काफी उत्पादन किया जाता है. सालों तक कालाढूंगी अपने आस-पास मैदानी क्षेत्रों के गावों का व्यापारिक केद्र रहा है.पंतनगर हवाई अड्डे की कालाढूंगी से दूरी 55 किमी है.
कोट भ्रामरी देवी के विषय में अधिक पढ़िए : कोट भ्रामरी मंदिर और नंदा देवी
कोट भ्रामरी का नंदा मेला की तस्वीरें देखिये कोट भ्रामरी का नंदा मेला
वाट्सएप में काफल ट्री की पोस्ट पाने के लिये यहाँ क्लिक करें. वाट्सएप काफल ट्री
-काफल ट्री डेस्क
काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें
उत्तराखंड, जिसे अक्सर "देवभूमि" के नाम से जाना जाता है, अपने पहाड़ी परिदृश्यों, घने जंगलों,…
शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक…
कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक…
शायद यह पहला अवसर होगा जब दीपावली दो दिन मनाई जाएगी. मंगलवार 29 अक्टूबर को…
तकलीफ़ तो बहुत हुए थी... तेरे आख़िरी अलविदा के बाद। तकलीफ़ तो बहुत हुए थी,…
चाणक्य! डीएसबी राजकीय स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय नैनीताल. तल्ली ताल से फांसी गधेरे की चढ़ाई चढ़, चार…