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9 Comments

  1. deepankar

    Comment…agreed and practical column.

  2. Anonymous

    hmmm……shmt.
    vichar pwitr hon ya na hon vaegyanik jroor hone chahiye.kuki ek din pryog ki ksoti pr khra utrte hi use…….ha ha ha ha .pwitrr v ho jana h

  3. सविता प्रथमेश

    जै श्री राम का उदघोष करते ये एक मात्र भाई साहब नहीं हैं.कमोबेश सारे देश में इनकी बाढ़ सी आ गई है. दुखद पहलू है कि यह बाढ़ अपने साथ सब कुछ बहाकर ले जा रही है.अच्छा भी और बुरा भी.क्योंकि उसे समझ नहीं है कि जिसका उदघोष वे लगा रहे हैं उसे समझें.हमारे देश में श्रुतियों का आरंभ से ही बहुत महत्व रहा है. अनेक आख्यान और पौराणिक कथाएं श्रुतियों के माध्यम से ही हम तक पहुंची हैं.राम का चरित्र भी हमारे यहां पढ़ा कम और सुना अधिक गया है. समझा तो बिल्कुल भी नहीं गया है.
    सारी समस्याओं की जड़ यही है.
    जब भैया जी जैसे लोग समझ का उपयोग करेंगे तभी धार्मिक कथाओं और आख्यानों की सही व्याख्या होगी.जो निश्चित ही समाजोपयोगी होगी.
    दिनेश कर्नाटक जी ने अपनी लेखनी से यही बताने की कोशिश की है.
    वर्तमान स्थिति पर सटीक टिप्पणी की है आपने साधुवाद..बधाई और शुभकामनाएं

  4. Anonymous

    Congratulations to the author for raising a very relevant topic,when ppl immitate the chracters without understanding/realising their depth….

  5. Anonymous

    यथार्थ।

  6. Anonymous

    यह बात सही है कि मुसलमानो, जिन्हें आप नही जानते हैं, को शक की दृष्टि से देखा जाता है, लेकिन यतार्थ में जो मुसलमान आपके सहकर्मी हैं, या जिनसे आपके रोजमर्रा के काम होते हैं, उनसे किसी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं होता है।

  7. Anonymous

    काफल ट्री से दिनेश कर्नाटक जैसे गहरे लेखकों का जुड़ना उम्मीद जगाता है। बढ़िया।

  8. Anonymous

    दिनेश ‌‌‌कनार्टक जी,
    बहुत प्रासंगिक आलेख है। इस तरह के लोग अक्सर टकराते रहते हैं। राम के बारे में जानकारी कुछ नहीं और जाप धन भर चलता रहता है।
    इस मारक व्यंग्य के लिए आपको बहुत बधाई।

  9. Anonymous

    कर्नाटक जी बेहतरीन आलेख।

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