मई 2018 में बागेश्वर जिले की सत्र न्यायालय ने नेपाल की रहने वाली एक दस साल की बच्ची के बलात्कार के आरोप में एक व्यक्ति को बारह साल की सजा सुनाई. तब तक बच्ची का परिवार नेपाल वापस लौट चुका था लेकिन बागेश्वर में उसके न्याय की लड़ाई लड़ने वाली लड़की का नाम है इंदिरा दानू.
ऑडनारी की ख़बर के अनुसार 2017 में, खाती में एक पुल का निर्माण हो रहा था. बहुत से मजदूर इस काम में लगे हुए थे. नेपाल से भी कुछ मजदूर खाती गांव आए थे. इन्हीं नेपाली परिवारों में से, एक परिवार में 10 साल की एक बच्ची भी थी. जो अपने मां-बाप के साथ आई थी. मां-बाप दिन भर मजदूरी करते थे. और बच्ची उसी इलाके में कभी खेलती, कभी इधर-उधर भटकती रहती. एक आदमी था विजय बहादुर. वो भी नेपाल से आया था, मजदूरी करने के लिए. बच्ची पर उसकी बुरी नजर थी. एक दिन बहादुर ने मौका पाकर बच्ची का रेप कर दिया. बात थी 2017 के अप्रैल महीने की. और बच्ची को न्याय मिला एक साल बाद मार्च 2018 में.
मामला यहीं दब जाता अगर इस पर नज़र निर्भया सेल में कम कर रही इंदिरा दानू की नहीं जाती तो. जब इंदिरा रिपोर्ट दर्ज कराने कपकोट पुलिस थाने गयी तो उन्होंने दूसरे देश का मामला बताकर रिपोर्ट लिखने से मना कर दिया. तब इंदिरा दानू ने एसपी से फोन पर कहा कि
दो दिन से पीड़िता बाहर बैठी हुई है, पुलिस एफआईआर दर्ज नहीं कर रही है. आपकी भी जवाबदेही तय हो जाएगी. मैं तो जा रही हूं फाइल कोर्ट में लेकर.
दबाव में आकर पुलिस को मामला दर्ज करना पड़ा. एक साल की लगातार लडाई के बाद इंदिरा दानू ने बच्ची को न्याय दिलाया.
आज खबर आई है कि इंदिरा दानू उत्तर प्रदेश में न्यायाधीश बन गयी हैं. कपकोट के एक दूरस्थ गांव की बेटी उत्तर प्रदेश में न्यायाधीश बन गयी है. निर्भया प्रकोष्ठ में वरिष्ठ अधिवक्ता के पद पर कार्यरत इंदिरा दानू ने इस पद पर रहते हुये अनेक महिलाओं को न्याय दिलाया .
काफल ट्री की ओर से इंदिरा दानू को अनेक शुभकामनाएं.
-काफल ट्री डेस्क
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