हैडलाइन्स

क्रिकेट विश्व कप में उत्तराखंड की स्नेह राणा का दमदार प्रदर्शन

महिला क्रिकेट विश्व कप में भारत ने अपना पहला मुकाबला पाकिस्तान के खिलाफ़ जीत लिया है. भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुये 7 विकेट पर 244 रन बनाये जवाब में पाकिस्तान की पूरी टीम 137 रन बनाकर आउट गयी. भारत को यह जीत दिलाने में मुख्य भूमिका रही पूजा वस्त्राकर, राजेश्वरी गायकवाड़ और स्नेह राणा की. इस तरह भारतीय महिला टीम ने एकदिवसीय मुकाबलों में पाकिस्तान को लगातार 11 बार हारने का अपना रिकार्ड बरकरार रखा.  
(India Pakistan Cricket World Cup)

उत्तराखंड की रहने वाली स्नेह राणा जब बैटिंग के लिये मैदान पर उतरी तो भारतीय टीम नाजुक दौर पर थी टीम का स्कोर था 5 विकेट पर 112 रन. लग रहा था भारतीय टीम 50 ओवर भी नहीं खेल पाएगी. इसके बाद स्नेह राणा ने पूजा वस्त्राकर के साथ मिलकर टीम का स्कोर 50 ओवर में 244 रन तक पहुंचाया. स्नेह राणा ने महज 48 गेंदों में नाबाद 53 रन की जबरदस्त पारी खेली. इसके बाद गेंदबाजी में अपना कमाल देखते हुये स्नेह राणा ने 2 विकेट भी झटके.
(India Pakistan Cricket World Cup)

राइट आर्म ऑफ ब्रेक बॉलर और दाएं हाथ की बल्लेबाज देहरादून की रहने वाली स्नेह राणा ने  2014 अपने में वन डे और टी-20 करियर की शुरुआत श्रीलंका के खिलाफ की. 2016 तक स्नेह राणा ने भारत की तरफ से 7 वन डे और 5 टी-20 मैच खेले. इसके बाद तो स्नेह को अगले पांच साल तक टीम इंडिया के लिए खेलने का मौका नहीं मिला. पिछले साल स्नेह ने भारतीय टीम में अपनी दमदार वापसी की.

इससे पहले स्नेह राणा तब खबरों में आई थी जब अपने डेब्यू टेस्ट में आठवें नंबर पर बैटिंग करते हुये वह 80 रन बनाकर नाबाद लौटीं. राणा और तानिया भाटिया के बीच नौवें विकेट के लिए हुई 104 रन की पार्टनरशिप की थी. स्नेह राणा की 195 मिनट की इस पारी को महिला क्रिकेट की सबसे ख़ास पारियों में गिना जाता है.
(India Pakistan Cricket World Cup)

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: Kafal Tree Online

दुनिया में सबसे पहले चावल की खेती चूहे और चुहिया ने की: कुमाऊनी लोककथा

-काफल ट्री फाउंडेशन

Support Kafal Tree

.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

अंग्रेजों के जमाने में नैनीताल की गर्मियाँ और हल्द्वानी की सर्दियाँ

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में आज से कोई 120…

3 days ago

पिथौरागढ़ के कर्नल रजनीश जोशी ने हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान, दार्जिलिंग के प्राचार्य का कार्यभार संभाला

उत्तराखंड के सीमान्त जिले पिथौरागढ़ के छोटे से गाँव बुंगाछीना के कर्नल रजनीश जोशी ने…

3 days ago

1886 की गर्मियों में बरेली से नैनीताल की यात्रा: खेतों से स्वर्ग तक

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में…

4 days ago

बहुत कठिन है डगर पनघट की

पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…

5 days ago

गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’

आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…

5 days ago

गढ़वाल और प्रथम विश्वयुद्ध: संवेदना से भरपूर शौर्यगाथा

“भोर के उजाले में मैंने देखा कि हमारी खाइयां कितनी जर्जर स्थिति में हैं. पिछली…

1 week ago