जीवन में अगर हमारा दृष्टिकोण सकारात्मक हो तो स्थितियां कैसी भी आएं, हम उनसे परेशान हुए बिना आनंद के साथ जीवन जी सकते हैं, क्योंकि सकारात्मक सोच मुश्किलों में से भी अवसरों को तलाश कर लेती है. जीवन में हम दो ही तरह की स्थितियों के मुकाबिल होते हैं- अच्छी या बुरी. स्थितियां अच्छी हैं, तो बात ही क्या है. उनका भरपूर आनंद लिया जा सकता है. दोगुनी ताकत से काम करते रहा जा सकता है. पॉजिटिव माइंडसेट वाला व्यक्ति ऐसा ही करता है. स्थितियां जब खराब हैं तो यह व्यक्ति उन्हें अच्छी स्थिति में बदलने का उपाय करता है. वह मुश्किल स्थितियों का भी बराबर आनंद लेता है. कितने ही लोग हैं, जिन्होंने कोरोना का अपने जीवन के लिए अभिशाप नहीं, बल्कि वरदान बना दिया, क्योंकि इस दौरान उन्होंने लोगों की जरूरतों को समझते हुए रातोंरात नया कारोबार शुरू किया और कामयाबी की नई दास्तां लिखी. हमारा इतिहास ऐसे किस्सों से भरा हुआ है, जहां हमने लोगों को अपनी सकारात्मक सोच की बदौलत मुश्किल स्थितियों को अपने लिए अभूतपूर्व अवसरों में बदलते देखा है. सकारात्मक सोच को थोड़ा बेहतर समझने के लिए एक बहुत खूबसूरत कहानी है. इस कहानी को पढ़ें और अंत में हम इसके सबक पर बात करेंगे. कहानी कुछ इस तरह है –
एक समय की बात है कि एक राज्य में एक राजा राज करता था. उसकी परेशानी यह थी कि उसकी केवल एक आंख थी और एक पैर भी खराब था. इन कमजोरियों के बाद भी वह एक कुशल, दयालु और बुद्धिमान शासक था. उसके राज में उसकी प्रजा बहुत खुशहाल और शांत जीवन व्यतीत कर रही थी एक दिन राजा अपने महल के गलियारे में टहल रहा था कि तभी अचानक उसकी नजर गलियारे की दीवारों पर लगे चित्रों पर पड़ी. ये उसके पूर्वज राजा थे. उन चित्रों को देखकर राजा के मन में खयाल आया कि भविष्य में जब उसके उत्तराधिकारी इस गलियारे से गुजरेंगे, तो उन चित्रों को देख अपने पूर्वजों को याद करेंगे. उन चित्रों में राजा का चित्र अब तक शामिल नहीं था. राजा मन ही मन सोच रहा था कि उसकी शारीरिक अक्षमताओं के कारण पता नहीं उसका चित्र कैसा दिखेगा.
राजा ने मन बनाया कि चित्र कैसा भी दिखे, उसे अपना चित्र भी दीवार पर लगवा देना चाहिए. अगले ही दिन उसने राज्य में मुनादी करवाकर राज्य के श्रेष्ठ चित्रकारों को बुलवा लिया. उसने उन्हें अपने सामने बैठाकर उनसे अपना चित्र बनाने को कहा, पर शर्त रखी कि चित्र सुंदर होना चाहिए ताकि वह उसे गलियारे के दीवार पर अपने पूर्वजों के चित्रों के साथ लगवा सके. जैसा चित्र बनेगा चित्रकार को वैसा ही उपहार दिया जाएगा. यह सुनकर सभी चित्रकार सोच में पड़ गए. एक अंधे और लंगड़े व्यक्ति का सुंदर चित्र बना पाना भला कैसे संभव था. चित्र खराब बना तो राजा उपहार में कोई सजा ही देगा. यह सोचकर कोई चित्रकार चित्र बनाने का साहस न कर पाया. एक-एक का सभी चित्रकार वहां से निकलते बने. अंत में सिर्फ एक युवा चित्रकार वहां मुस्कराता खड़ा रहा. उसने राजा को बताया कि वह उसका चित्र बनाने को तैयार है. राजा ने उसे चित्र बनाने की अनुमति दे दी.
अगले ही दिन से वह युवा चित्रकार राजा का चित्र बनाने में जुट गया. कुछ दिनों बाद जब चित्र बनकर तैयार हो गया, तो उसे परदे से बाहर निकालने का वक्त आया. चित्र को देखने के लिए राजा समेत सभी वरिष्ठ मंत्री और दरबारी वहां मौजूद थे. सब बड़े कौतूहल से परदे की ओर देख रहे थे कि कब वह हटे और कब वे राजा का चित्र देखें. वे यह देखने को अधीर थे कि इस युवा चित्रकार ने आखिर एक काने और लंगड़े राजा का सुंदर चित्र कैसे बना दिया. जब चित्र का अनावरण हुआ, तो राजा सहित सभी के मुंह खुले के खुले रह गए. चित्र वाकई अतीव सुंदर बना था. उस चित्र में राजा दोनों तरफ पैर डाले घोड़े पर बैठा हुआ था. चित्र को एक ओर से चित्रित किया गया था, इसलिए उसमें राजा का एक ही पैर दिखाया गया था. चित्र में दिखाया गया था कि राजा धनुष चढ़ाकर एक आंख बंद करके निशाना साध रहा है. चित्र देखकर लग रहा था कि उसने जानबूझकर अपनी एक आंख बंद की हुई है. यानी चित्र राजा के लंगड़े होने के साथ काने होने की कमी को भी बखूबी छिपा रहा था. चित्र को देखकर राजा बहुत प्रसन्न हुआ. चित्रकार ने अपनी चतुराई और सूझबूझ से राजा की अक्षमताओं को छुपाकर सचमुच एक बहुत सुंदर चित्र बनाया था. राजा ने युवा चित्रकार को पुरस्कार तो दिया ही, उसे अपने दरबार का सलाहकार भी मनोनीत कर दिया.
इस खूबसूरत कहानी की सीख यही है कि जीवन में आगे बढ़ने के लिए हमें अपनी सोच को हमेशा सकारात्मक बनाए रखना चाहिए. स्थितियां कितनी भी विषम हों, पर सोच पॉजिटिव रहना चाहिए, क्योंकि पॉजिटिव सोच विषम स्थितियों को भी सरल बना देती है.
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कवि, पत्रकार, सम्पादक और उपन्यासकार सुन्दर चन्द ठाकुर सम्प्रति नवभारत टाइम्स के मुम्बई संस्करण के सम्पादक हैं. उनका एक उपन्यास और दो कविता संग्रह प्रकाशित हैं. मीडिया में जुड़ने से पहले सुन्दर भारतीय सेना में अफसर थे. सुन्दर ने कोई साल भर तक काफल ट्री के लिए अपने बचपन के एक्सक्लूसिव संस्मरण लिखे थे जिन्हें पाठकों की बहुत सराहना मिली थी.
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