चारों तरफ से बांज, देवदार और चिनार से सजी पहाड़ियों के बीच गहरे हरे रंग की यह झील देश दुनिया के आकर्षण का केंद्र है. नैनीताल की इस खूबसूरत झील के साथ देवी-देवताओं के कई पौराणिक किस्से जुड़े हुए हैं. अंग्रेज जब भारत आये तो इस झील के मोहपाश में बंधे बिना न रह सके.
(Hindi Films in Nainital)
साल भर लाखों सैलानी इस झील के आकर्षण से खिंचे चले आते हैं. आम जन को नैनीताल जितना बांधता है उतना ही सिनेमा बनाने वालों को भी. यही वजह है कि इस झील में और इसके आसपास हिट हिंदी फिल्मों के ढेरों हसीन लम्हे बुने गए हैं.
साल 1958 में दिलीप कुमार और वैजयंतीमाला की अदाकारी से सजी बिमल रॉय की फिल्म मधुमती का अच्छा ख़ासा हिस्सा नैनीताल जिले में ही फिल्माया गया. इस फिल्म के कई सुपरहिट गीत और महत्वपूर्ण दृश्य भी नैनीताल के पास गेठिया, भूमियाधार और घोड़ाखाल में फिल्माए गए थे. फिल्म का ख़ासा हिस्सा ग्राम सभा गेठिया के चीड़धार में फिल्माया गया. इस दौरान गेठिया की रहने वाली यशोदा आर्या ने वैजयंतीमाला के डबल का रोल भी अदा किया.
फिल्म के गीत ‘चढ़ गयो पापी बिछुआ की कोरियोग्राफी टीम में उत्तराखण्ड के जाने-माने रंगकर्मी मोहन उप्रेती भी शामिल रहे थे. उस साल राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में सर्वश्रेष्ठ हिंदी फिल्म का ख़िताब जीतने के अलावा मधुमती ने 9 फिल्मफेयर पुरस्कार भी अपनी झोली में डाले.
1963 में रिलीज निर्माता निर्देशक बीआर चोपड़ा की फिल्म गुमराह में सुनील दत्त और माला सिन्हा के कई रोमांटिक दृश्य और गीत नैनीताल की पृष्ठभूमि में खिल से गए थे. 1963 में ही निरंजन द्वारा निर्देशित फिल्म ‘कौन अपना कौन पराया’ में वहीदा रहमान और विजय कुमार पर फिल्माए इस गीत में नैनीताल झील की मनमोहक छवि देखते ही बनती है. इन फिल्मों में आप देख सकते हैं कि तब नैनीताल कंक्रीट के जंगल में तब्दील होकर बदसूरत नहीं हुआ था.
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साल 1964 में वहीदा रहमान फिर नैनीताल आयीं निर्देशक नजर की फिल्म शगुन की शूटिंग के लिए. इस फिल्म का ज्यादातर हिस्सा महबूब स्टूडियो, बम्बई और नैनीताल में ही फिल्माया गया. फिल्म में नैनीताल ट्रिप में आई गीता यानि वहीदा रहमान की मुलाकात मदन यानि कमलजीत से होती है. इस फिल्म के गीत ‘पर्वतों के पेड़ों पर रात का बसेरा है को लिखा था साहिर लुधयानवी ने और संगीत था खैयाम का’ कल्ट बन चुके इस गीत की आत्मा जैसे नैनीताल के शरीर में जीवन पाती है.
1965 में चोपड़ा बंधु बीआर चोपड़ा और यश चोपड़ा अपनी हिट फिल्म लेकर आये. इस फिल्म के सबसे बेहतरीन टुकड़े नैनीताल में ही फिल्माए गए. 1971 में बनी कटी पतंग 1969 से 1971 के दौरान आशा पारेख और राजेश खन्ना की जोड़ी की 17 सुपरहिट फिल्मों में से एक है. फिल्म के इस गीत में पाल नौकाओं से सजे नैनीताल में नायक नायिका की जोड़ी और ज्यादा आकर्षक दिखाई देती है.
1977 में आई रोशन तनेजा की फिल्म अभी तो जी लें में जया भादुड़ी, डैनी, और सिमी ग्रेवाल की बेहतरीन अदाकारी के अलावा नैनीताल के सुंदर फिल्मांकन के लिए भी याद किया जाता है. यहां यह जान लेना दिलचस्प होगा कि डैनी और जया भादुड़ी न सिर्फ अच्छे दोस्त हैं बल्कि डैनी नाम भी जया का ही दिया हुआ है. शेरिंग फिंटसो डेन्जोंगपा को डैनी नाम जया ने तब दिया जब वे एफटीआई पुणे में सहपाठी थे. डैनी जया भादुड़ी के अच्छे दोस्त थे लेकिन अमिताभ के साथ काम करने से हमेशा बचते रहे. अपने अभिनय जीवन के 18 साल बाद डैनी अग्निपथ में अमिताभ के साथ काम करने को राजी हुए.
1983 में शेखर कपूर ने निर्देशक के रूप में अपनी पारी की शुरुआत फिल्म मासूम से की. इस सदाबहार फिल्म का ज्यादातर हिस्सा नैनीताल के सेंट जोसफ़ स्कूल और आसपास की वादियों में फिल्माया गया. नसीब, लावारिस, बेमिसाल और दर्द का रिश्ता जैसी फिल्मों में बाल कलाकार के रूप में काम कर चुकी खुशबू ने नायिका के रूप में अपने कैरियर की शुरुआत 1985 में जैकी श्रॉफ के साथ फिल्म जानू से की. फिल्म बुरी तरह फ्लॉप रही लेकिन फिल्म में कैद नैनीताल के गांव नारायण नगर और आसपास के नज़ारे आज भी देखे जाते हैं.
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मारकुटाई वाले भव्य शाहकार बनाने वाले अनिल शर्मा ने 1987 में धर्मेन्द्र और रति अग्निहोत्री को लेकर हुकूमत बनायीं. उस साल मिस्टर इंडिया से भी ज्यादा कुल 11 करोड़ की रिकॉर्ड कमाई करने वाली इस फिल्म के भव्य दृश्य नैनीताल में ही फिल्माए गए. 1992 में आई फिल्म माशूक पर्दे बेअसर रही. अयूब खान और आयशा जुल्का को लेकर बनायीं गयी मिर्जा ब्रदर्स की इस फिल्म में श्याम सुरेंदर का संगीत जरूर कुछ असर छोड़ने में कामयाब हुआ. फिल्म में भव्य नैनीताल दिखाया गया था.
1997 में विनोद खन्ना, हेमा मालिनी और अक्षय खन्ना की फ्लॉप फिल्म हिमालय पुत्र की शूटिंग भी नैनीताल में ही हुई. 1999 में रिलीज संजय कपूर, प्रिय गिल और सुष्मिता सेन की फिल्म सिर्फ तुम तमिल मूवी ‘कादल कोट्टे’ का रीमेक थी. चिट्ठियों के जरिये प्यार पनपने की कहानी कहती इस फिल्म की नायिका नैनीताल से ही सारे खत पोस्ट किया करती है.
साल 2003 में रिकॉर्डतोड़ कमाई करने वाली हृतिक रोशन और प्रिटी जिंटा की फिल्म ‘कोई मिल गया’ का ज्यादातर हिस्सा नैनीताल जिले में ही फिल्माया गया था. 2003 में जैकी श्रोफ, करिश्मा कपूर, सुनील शेट्टी और डिनू मौर्या जैसे सितारों से सजी टीनू आनंद की साइकोथ्रिलर मूवी ‘बाज़ ए बर्ड इन डेंजर’ नैनीताल, भीमताल, सातताल के आसपास ही हुई. फिल्म में जय सिंह डबराल के किरदार में जैकी श्रॉफ ठहरा और बल जैसे पहाड़ी टेक का घटिया इस्तेमाल करते दिखाई देते हैं.
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2004 में नेहा धूपिया और प्रियांशु चटर्जी की फिल्म भले ही बेअसर रही हो लेकिन फिल्म में नैनीताल का असर बहुत शानदार दिखाई देता है. टिपिकल फैमिली ड्रामा बनाने वाले बडजात्या बंधुओं की फिल्म विवाह ने बॉक्स ऑफिस पर रिकॉर्डतोड़ कमाई की. इस फिल्म में नैनीताल के आसपास ख़ास तौर पर गोलू देवता मंदिर का शानदार फिल्मांकन किया गया है.
2006 में मुस्तफा इंजीनियर ने फिल्म बनायीं ‘चाँद के पार चलो’ इस बेअसर फिल्म पर नैनीताल का असर बहुत खूब दिखता है. साल 2001 में वूट सेलेक्ट की टीम वेबसीरीज कैंडी के लिए नैनीताल में ही डेरा डाले थी. ऋचा चड्ढा का जानदार अभिनय और नैनीताल के शानदार दृश्य इस सीरीज को दर्शनीय बनाते हैं.
तो ये थी नैनीताल जिले में फिल्मायी गयी कुछ फिल्मों के बारे में जानकारी. ये लिस्ट काफी लम्बी है, हमने बस कुछ ख़ास फिल्मों के बारे में जानकारी दी है. हिंदी फिल्मों के अलावा नैनीताल क्षेत्रीय भाषाओं में बनने वाली कई फिल्मों का भी पसंदीदा डेस्टिनेशन है.
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