इन दिनों राजधानी दिल्ली में संगीत नाटक अकादमी द्वारा ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ के अन्तर्गत क्लाइडस्कोप नाम से लोककला और लोकसंस्कृति से जुड़ा आयोजन किया जा रहा है. 21 से 30 मार्च तक चलने वाले दस दिवसीय उत्सव ‘अमूर्त सांस्कृतिक संपदा’ में फ़िल्म स्क्रीनिंग, ट्रेडिशनल क्राफ्ट वर्कशॉप, थियेटर वर्कशॉप समेत कई कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं. इस आयोजन में देश के विभिन्न राज्यों के संस्कृतिकर्मी, लोक कलाकार, फिल्मकार और शिल्पी आमंत्रित किये गए हैं. (Hiljatra at Sangeet Natak Akademi)
उत्तराखण्ड का प्रतिनिधित्व पिथौरागढ़ की सांस्कृतिक संस्था भाव राग ताल नाट्य अकादमी द्वारा किया जा रहा है. अकादमी द्वारा अमूर्त सांस्कृतिक संपदा के तहत हिलजात्रा में इस्तेमाल किये जाने वाले मुखौटों व हिलजात्रा से संबंधित लोकगीतों का डॉक्यूमेंटेशन भी किया गया.
भाव राग ताल नाट्य अकादमी द्वारा यहां पर हिलजात्रा में इस्तेमाल किये जाने वाले मुखौटों की प्रदर्शनी भी लगायी गयी. इस आयोजन के द्वारा हिलजात्रा को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली. देश के विभिन्न राज्यों से आए हुए लोगों के बीच इस पहल को बहुत सराहना मिली.
संगीत नाटक अकादमी के इस कार्यक्रम में हिलजात्रा से संबंधित विभिन्न जानकारियां भी एक मंच के माध्यम से मौजूद कला प्रेमियों के बीच दी गयी. इस दौरान शिल्प कार्यशाला में वाद्ययंत्र हुड़का बनाने की विधि व मुखौटों में रंगों के बारे में ट्रेनिंग कार्यक्रम भी चलाया गया.
संगीत नाटक अकादमी द्वारा “हिलजात्रा” को अमूर्त सांस्कृतिक संपदा के तौर पर देखना पूरे कुमाऊं क्षेत्र व उत्तराखण्ड के लिए गर्व की बात है. आज उत्तराखंड की हिलजात्रा पिथौरागढ़ से बाहर निकलकर पूरे देश में अपनी पहचान बना रही है. भाव राग ताल नाट्य अकादमी का यही भी है कि उत्तराखंड की विलुप्त होती संस्कृतियों को जन-जन तक पहुंचाया जाए
दिल्ली के इस कार्यक्रम में संस्था के निदेशक कैलाश कुमार के नेतृत्व में धीरज कुमार, विकाश भट्ट, प्रीति रावत, वेंकटेश नकुल, महेश राम ने प्रतिभाग किया.
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