एक लड़का जिसे उसके नाते-रिश्तेदार समेत उसके आस-पास के पचास कोस तक की सभी जगह में मनहूस माना जाता हो. जिसके आने पर लोग घर में न होने का कोई बहाना ख़ोजते हों. जो अपनी जिंदगी में पहली बार हैरान ‘गू’ जैसी चीज पर हुआ हो. जिसका बाप उसे मदुआ यानि बुद्धू नाम से बुलाता हो. क्या ऐसा व्यक्ति किसी कहानी या उपन्यास का नायक हो सकता है. Hariya Hercules Ki Hairani
हो सकता है अगर लिखने वाले का नाम मनोहर श्याम जोशी है तो जरुर हो सकता है. इस बात पर यकीन करने के लिये की ऊपर लिखी निकृष्ट समझी जाने वाली चारित्रिक विशेषताओं के साथ भी कोई नायक हो सकता है, आपको मनोहर श्याम जोशी का उपन्यास हरिया हरक्यूलीज़ की हैरानी पढ़ना होगा.
दिखने में हरिया अपनी नाटी, सांवली और चिपटी नाक वाली नानी पर गया है. विरासत में उसके पास पिता की घुड़सवारी वाली बिरजिस और पोलो टोपी के साथ एक साइकिल है. साइकिल जिसने उसके नाम को पूरा किया हरिया हरक्यूलीज़.
पश्चिमी आस्ट्रेलिया में पड़ने वाली एक जगह गूमालिंग के आधार पर पहाड़ की पृष्ठभूमि पर कोई कहानी बन सकती है? पहाड़ में रहने वाले एक सामान्य से व्यक्ति के जीवन को पश्चिमी आस्ट्रेलिया के शहर का नाम किस कदर बदल सकता है. आस्ट्रेलिया के एक शहर पहाड़ के एक गांव के गड़े-मुर्दे किस हद तक उखाड़ सकता है.
एक ही पैराग्राफ में गू से घृणा, पिता की बेबसी, पुत्र का प्रेम और मानवीय शरीर की पीड़ा, यह संभव बनाया है मनोहर श्याम जोशी ने अपने उपन्यास हरिया हरक्यूलीज़ की हैरानी में.
सन उनहत्तरी की जन्यो-पुण्यु के दिन जन्मे हरिया हरक्यूलीज़ के बारे में उपन्यास की पहली लाइन है
हरिया हरक्यूलीज़ जिन्दगी में पहली बार हैरान हुआ और सो-भी गू- जैसी, अब और क्या कह सकते हो , गू चीज के मारे.
उपन्यास खत्म होने तक हरिया की यह हैरानी आपको ऐसे भाव-विभोर करती है हरिया हरक्यूलीज़ सुनते ही आपके चेहरे पर एक शांत मुस्कान आ जाती है.
हरिया हरक्यूलीज़ की हैरानी को दुनिया के सामने लाने वाले मनोहर श्याम जोशी की आज पुण्यतिथि है. Hariya Hercules Ki Hairani
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