उत्तराखंड में विदेश जा कर विकास का मॉडल देखने की खूब चर्चा है. चर्चा तो राज्य की प्रति व्यक्ति आय के बढ़ने की भी है. पर हमें इससे शिकायत है . हमारी शिकायत का सबब ये है कि हमारे आसपास जो विकास हो रहा है,जो बढ़ोतरी हो रही है, उस पर किसी की नजर ही नहीं है.
अब आप जरा नीचे लगे फोटो को देखिये. फोटो देखेंगे तो आपको समझ में आएगा कि हमारे यहाँ कैसा अनोखा, अद्भुत और अभूतपूर्व विकास हो रहा है. लेकिन किसी की उस विकास पर नजर जा ही नहीं रही है. ये फोटो है हैंडपंप की जिसे पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में लोग चापाकल भी कहते हैं. यह हैंडपंप उत्तराखंड में रुद्रपयाग बाइपास पर है. दुनिया में कहीं नहीं हुआ होगा कि तीन-चार फीट की ऊंचाई वाला हैंडपम्प लगाया गया हो और कुछ ही साल में बढ़ कर उसकी लंबाई आठ-दस फीट हो गयी हो. लेकिन हमारे पहाड़ में इस चमत्कार को आप साक्षात देख सकते हैं. जिस हैंडपंप को लोग पहले नजर नीची करके देखते थे, आज उसकी ऊंचाई इतनी हो गयी कि उसे देखने में आपको सिर स्वतः ऊंचा हो जाता है.
भगवान कृष्ण द्वारा अर्जुन को अपना विराट स्वरूप दिखाये जाने की बात काफी कही-सुनी जाती है. लेकिन यहाँ तो साक्षात हैंडपंप का विराट स्वरूप आप अपनी आँखों से जब चाहे तब देख सकते हैं. इसके लिए न कोई कृष्ण चाहिए,न अर्जुन होने की जरूरत है. बस आपको फकत इस रास्ते से गुजरना है और अपने विराट रूप में हैंड पंप आपके सामने प्रकट हो जाएगा.
और यह लंबा-तगड़ा विराट स्वरूप वाला हैंडपंप कोई ईश्वरीय चमत्कार नहीं है. यह काम तो हमारे विकास में निरंतर खटने-घुलने वाली सरकार के विकास के मॉडल का है. उत्तराखंड में डबल इंजन के सरकार के डबल विकास का नमूना है यह हैंडपंप. विकास इस कदर उफान पर है कि डबल इंजन की सरकार में हैंडपम्प भी डबल हो गया है ! अब सोचिए हैंडपंप जैसी मामूली चीज, जिसके विकास का न कोई नारा है, न कोई वायदा, अगर उसका ऐसा डबल विकास हो गया है तो आम जनता जिसके विकास के नारे, वायदों की सरकार बहादुर झड़ी लगाए रहती है, उसका कैसा विकास हो रहा होगा! उसका विकास भी तो इस हैंडपंप की गति से बढ़ रहा होगा!
यह हैंडपंप दरअसल हमारे विकास का मॉडल है, एक आदर्श मॉडल. लोगों को ऊंचा उठाने का मॉडल. सोचिए तो यह हैंडपंप इतनी ऊंचाई कैसे पा गया? सड़क बनाने वाली राष्ट्रीय एजेंसी ने इसके चारों ओर की जमीन खोद दी. उसके फलस्वरूप यह इस कदर लंबा-ऊंचा हो गया. यही विकास का युगांतकारी, चमत्कारी मॉडल है. आदमी का जीवन स्तर उठाने के लिए उसके चारों तरफ की जमीन खोद दो तो जिस टापू में वह खड़ा रह जाएगा, वह स्वतः ऊंचा हो जाएगा.
फर्ज कीजिये कि लोग कहें कि शून्य विकास हो रहा है. तो चारों तरफ विकास के शून्य पैदा कीजिये. हर तरफ शून्य ही शून्य, हजारों-लाखों-करोड़ों शून्य! जब इतने शून्य हो गए तो अब करना क्या है! इन पैदा किए गए शून्यों के आगे केवल एक लगा दीजिये,फिर देखिये विकास के आंकड़े में किस चमत्कारिक गति से वृद्धि होती है. करना यही है, जैसा हैंडपंप के साथ किया. चारों तरफ की जमीन खोद देनी है और एक को इतना ऊंचा उठा देना है कि लोग उसे देख कर चमत्कृत हो रहें.
तो सरकार बहादुर जो कोई कहे कि राज्य में विकास नहीं हो रहा है, उसे यह हैंडपंप दिखाइये. बताइये कि जब हुकूमत ने हैंडपंप को तक इतना बड़ा कर दिया है तो बाकी क्या कुछ नहीं किया होगा. जो पूछते हैं कि 18 साल के उत्तराखंड में क्या हुआ, उन्हें यह हैंडपंप दिखाये. बताइये कि बड़े होने का यही रास्ता है. जमीन खुदेगी, पैरों तले से भी खोद दी जाएगी तब ही बड़े हो सकेंगे.
उत्तराखंड में विदेश जा कर विकास का मॉडल देखने की खूब चर्चा है. चर्चा तो राज्य की प्रति व्यक्ति आय के बढ़ने की भी है. पर हमें इससे शिकायत है . हमारी शिकायत का सबब ये है कि हमारे आसपास जो विकास हो रहा है,जो बढ़ोतरी हो रही है, उस पर किसी की नजर ही नहीं है.
अब आप जरा फोटो देखिये. फोटो देखेंगे तो आपको समझ में आएगा कि हमारे यहाँ कैसा अनोखा, अद्भुत और अभूतपूर्व विकास हो रहा है. लेकिन किसी की उस विकास पर नजर जा ही नहीं रही है. ये फोटो है हैंडपंप की जिसे पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में लोग चापाकल भी कहते हैं. यह हैंडपंप उत्तराखंड में रुद्रपयाग बाइपास पर है. दुनिया में कहीं नहीं हुआ होगा कि तीन-चार फीट की ऊंचाई वाला हैंडपम्प लगाया गया हो और कुछ ही साल में बढ़ कर उसकी लंबाई आठ-दस फीट हो गयी हो. लेकिन हमारे पहाड़ में इस चमत्कार को आप साक्षात देख सकते हैं. जिस हैंडपंप को लोग पहले नजर नीची करके देखते थे, आज उसकी ऊंचाई इतनी हो गयी कि उसे देखने में आपको सिर स्वतः ऊंचा हो जाता है. भगवान कृष्ण द्वारा अर्जुन को अपना विराट स्वरूप दिखाये जाने की बात काफी कही-सुनी जाती है. लेकिन यहाँ तो साक्षात हैंडपंप का विराट स्वरूप आप अपनी आँखों से जब चाहे तब देख सकते हैं. इसके लिए न कोई कृष्ण चाहिए,न अर्जुन होने की जरूरत है. बस आपको फकत इस रास्ते से गुजरना है और अपने विराट रूप में हैंड पंप आपके सामने प्रकट हो जाएगा.
और यह लंबा-तगड़ा विराट स्वरूप वाला हैंडपंप कोई ईश्वरीय चमत्कार नहीं है. यह काम तो हमारे विकास में निरंतर खटने-घुलने वाली सरकार के विकास के मॉडल का है. उत्तराखंड में डबल इंजन के सरकार के डबल विकास का नमूना है यह हैंडपंप. विकास इस कदर उफान पर है कि डबल इंजन की सरकार में हैंडपम्प भी डबल हो गया है ! अब सोचिए हैंडपंप जैसी मामूली चीज, जिसके विकास का न कोई नारा है, न कोई वायदा, अगर उसका ऐसा डबल विकास हो गया है तो आम जनता जिसके विकास के नारे, वायदों की सरकार बहादुर झड़ी लगाए रहती है, उसका कैसा विकास हो रहा होगा! उसका विकास भी तो इस हैंडपंप की गति से बढ़ रहा होगा!
यह हैंडपंप दरअसल हमारे विकास का मॉडल है, एक आदर्श मॉडल. लोगों को ऊंचा उठाने का मॉडल. सोचिए तो यह हैंडपंप इतनी ऊंचाई कैसे पा गया? सड़क बनाने वाली राष्ट्रीय एजेंसी ने इसके चारों ओर की जमीन खोद दी. उसके फलस्वरूप यह इस कदर लंबा-ऊंचा हो गया. यही विकास का युगांतकारी, चमत्कारी मॉडल है. आदमी का जीवन स्तर उठाने के लिए उसके चारों तरफ की जमीन खोद दो तो जिस टापू में वह खड़ा रह जाएगा, वह स्वतः ऊंचा हो जाएगा.
फर्ज कीजिये कि लोग कहें कि शून्य विकास हो रहा है. तो चारों तरफ विकास के शून्य पैदा कीजिये. हर तरफ शून्य ही शून्य, हजारों-लाखों-करोड़ों शून्य! जब इतने शून्य हो गए तो अब करना क्या है! इन पैदा किए गए शून्यों के आगे केवल एक लगा दीजिये,फिर देखिये विकास के आंकड़े में किस चमत्कारिक गति से वृद्धि होती है. करना यही है, जैसा हैंडपंप के साथ किया. चारों तरफ की जमीन खोद देनी है और एक को इतना ऊंचा उठा देना है कि लोग उसे देख कर चमत्कृत हो रहें.
तो सरकार बहादुर जो कोई कहे कि राज्य में विकास नहीं हो रहा है, उसे यह हैंडपंप दिखाइये. बताइये कि जब हुकूमत ने हैंडपंप को तक इतना बड़ा कर दिया है तो बाकी क्या कुछ नहीं किया होगा. जो पूछते हैं कि 18 साल के उत्तराखंड में क्या हुआ, उन्हें यह हैंडपंप दिखाइये. बताइये कि बड़े होने का यही रास्ता है. जमीन खुदेगी, पैरों तले से भी खोद दी जाएगी तब ही बड़े हो सकेंगे.
बड़े होने का रास्ता अपनी ही बुनियाद खुदवाने से हो कर गुजरता है!
-इन्द्रेश मैखुरी
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1 Comments
कमल लखेड़ा
लेखक ने हैंडपंप के माध्यम से, उत्तराखंड के विकास की पोल खोल दी है । कोई सरकार हो, अपने को बचाने और विपक्षी दलों को घेरने में जुटी रहती है । बाकी विकास तो सतत प्रक्रिया है, हो ही जाएगा ।