तकलीफ़ तो बहुत हुए थी…
तेरे आख़िरी अलविदा के बाद।
तकलीफ़ तो बहुत हुए थी,
तेरे आख़िरी अलविदा के बाद।
एक सन्नाटा सा मौजूद रहता है
मेरे कमरे में।
खालीपन सा रहता है छागल (मोटे कपड़े या चमड़ी से बना पानी रखने का थैला) से बदन में।
तेरी आवाज का पानी छलकता रहता है,
मेरी खाली पड़ी दिल की हवेली में।
दीवारें उदास सी रहती हैं…
दीवारें उदास सी रहती हैं,
शायद तेरे दुपट्टे की लहर के दीदार को तरसती हैं।
पर्दों ने भी सिसकियाँ लेना बंद कर दिया है…
पर्दों ने भी सिसकियाँ लेना बंद कर दिया है,
अब वो तेरे हाथों की लकीरों को तरसते हैं।
गलीचे के भी रंग फीके पड़ गए हैं…
गलीचे के भी रंग फीके पड़ गए हैं,
शायद तेरे पाँव के चाप और पाज़ेब की आवाज को तरसते हैं।
मेरी ऐशट्रे (राखदानी) भी बहुत भर गयी है …
मेरी ऐशट्रे भी बहुत भर गयी है,
लगता है तेरे हाथों के धक्के की मोहताज़ है।
बालकनी मे रखा वो मनी प्लांट और तुलसी का फूल सूख सा गया है…
बालकोनी मे रखा वो मनी प्लांट और तुलसी का फूल सूख सा गया है…
शायद उन्हें तेरे उँगलियों से टपकते हुई पानी की बूँद का इंतज़ार है।
चीज़ें और उनके मायने सब वही हैं …
चीज़ें और उनके मायने सब वही हैं …
पर…
पर तेरी दस्तक गुम है।
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