आज सर डॉन ब्रैडमैन का जन्मदिन है. वही ब्रैडमैन जिनसे भारत में बार-बार सचिन की तुलना होती है और सचिन हर बार खारिज करते हैं. ब्रैडमैन का पूरा नाम सर डॉनल्ड जॉर्ज ब्रैडमैन था. 21 साल तक आस्ट्रेलिया के लिये खेलने वाले ब्रैडमैन को द डॉन के नाम से भी जाना जाता था. ब्रैडमैन का टेस्ट क्रिकेट में औसत 99.94 था जो आज भी टॉप पर कायम है. तीन पारियों में एक शतक का औसत रखने वाले ब्रैडमैन आज भी क्रिकेट के सबसे महान बल्लेबाज माने जाते हैं.
सर डॉन ब्रैडमैन ने अपने जीवन में कुल 52 टेस्ट मैच खेले जिनमें 6992 रन जड़े. अपने करियर में उन्होंने 3 ट्रिपल सेंचुरी, 12 डबल सेंचुरी और 29 सेंचुरी मारी. ब्लैकहीथ और लिथगोव के बीच कंक्रीट की पिच पर हुए एक मुकाबले में सर डॉन ब्रैडमैन ने केवल तीन ओवर में शतक जड़ दिया. उस समय एक ओवर आठ गेंदों का हुआ करता था.
सर डॉन ब्रैडमैन को रोकने के लिये ही 1932-33 की एशेज सीरीज में इंग्लैंड की टीम ने आस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों की देह को निशाना बनाकर बीमर फेंकी गयी. जिसे बाडीलाइन बाउलिंग कहा गया. इस सीरीज में इंग्लैंड का नेतृत्व एक खांटी अंग्रेज डगलस जार्डन के हाथों में था. जिसने हेरोल्ड लारवुड नामक तेज गेंदबाज को पूरी सीरीज में इसी तरह गेंदबाजी करने के निर्देश दिए गये. इस सीरीज में कई आस्ट्रेलियाई खिलाड़ी चोटिल हो गये और इंग्लैंड यह सीरीज 4-1 से जीत गया.
जेंटलमैन के नाम से जाने वाले खेल में पहली बार इस प्रकार की घटना हुई थी. जिसके बाद न केवल इंग्लैंड की टीम की जमकर आलोचना हुई बल्कि तेज गेंदबाज हेरोल्ड लारवुड का करियर भी समाप्त हो गया था. क्रिकेट इतिहास में यह सीरीज बाडीलाइन सीरीज के नाम से जानी जाती है.
दाए हाथ के बल्लेबाज सर डॉन ब्रैडमैन ने अपना आखिरी टेस्ट मैच इंग्लैंड के खिलाफ 14 अगस्त 1948 को केनिंग्टॉन ओवल में खेला था. उन्हें 100 के औसत के लिये 4 रनों की आवश्यकता थी लेकिन इंग्लैंड के लेग स्पिनर इरिक हॉलिस ने शून्य पर आउट कर दिया.
भारत के लाला अमरनाथ विश्व के एकमात्र ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने डॉन ब्रैडमैन को हिट विकेट आउट किया था. इसके अलावा डॉन ब्रैडमैन केवल एक बार ही रब आउट हुए हैं. 2001 में क्रिकेट का ये चमकता हुआ सितारा इस दुनिया से विदा हो गया. उनकी महानता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने उनकी तस्वीर वाले सिक्के और स्टांप बनवाए. डॉन ब्रेडमैन ऑस्ट्रेलिया के पहले ऐसे व्यक्ति थे, जिनके जीवनकाल में ही उन्हें समर्पित एक संग्रहालय बनवाया गया.
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