गौतम गंभीर ने आखिरकार वो फैसला ले लिया जिसे लेकर सबके दिमाग में एक सवाल लंबे समय से चल रहा था. उन्होंने मंगलवार को ट्वीट कर बताया कि वह इंटरनेशनल क्रिकेट के सभी फॉर्मेट से संन्यास ले रहे हैं. इसी के साथ उनकी वापसी की दुआ करने वालों को भी बड़ा झटका लगा.
गौती, जो नाम अक्सर ग्राउंड में सुना जाता था वो अब नहीं सुनाई देगा. एक ऐसा क्रिकेटर जिसने टीम इंडिया में लंबे समय से चल रहे ओपनिंग के सूखे को समाप्त किया था ख़ासकर टेस्ट मैचों में. उनके आने से टीम इंडिया में बड़ा सूखा समाप्त हुआ था. टेस्ट मैच में वीरेन्द्र सहवाग के साथ उनकी जोड़ी ने काफी धमाल मचाया. जहां एक तरफ सहवाग अपनी विस्फोटक बल्लेबाजी से गेंदबाजों के होश उड़ा के रखते थे. वहीं दूसरे छोर पर गंभीर अपने नाम के मुताबिक गंभीरता से बल्लेबाज़ी करते थे.
गौतम गंभीर भी गेंदों को छोड़ने की जगह खेलने में विश्वास रखते थे. पर उन्होंने टीम इंडिया के लिए कई बार अपनी बल्लेबाजी शैली में ज़रूरत के मुताबिक बदलाव किया. वो लंबे समय तक भारतीय टीम के ओपनर रहे. टीम इंडिया को नंबर वन टेस्ट टीम बनाने में उनका अहम योगदान था.
टेस्ट मैच के अलावा वनडे मैचों में भी उनका प्रदर्शन शानदार रहा. 2011 के विश्वकप फाइनल में उनकी पारी को कौन भारतीय भूल सकता है. कोहली के साथ मिलकर उन्होंने जीत की जो नींव रखी उसे धोनी ने अपने अंदाज़ में अंज़ाम दिया. जिसने 28 साल बाद भारत का वनडे विश्वकप जीतने का सपना साकार किया. उस मैच में गौतम गंभीर भले ही तीन रन से शतक से चूक गए पर लाखों भारतीयों का दिल उन्होंने जीता.
महेन्द्र सिंह धौनी की कप्तानी भरी पारी भले ही उनकी पारी पर भारी पड़ी. पर जो क्रिकेट के फैन्स हैं और खेल को समझते हैं वो सब मानते हैं कि अगर गंभीर ने उस मैच में शतक लगा दिया होता तो मैन ऑफ द मैच वह ही होते. सचिन, राहुल, सहवाग, रोहित शर्मा, सुरेश रैना, युवराज, धोनी के साथ ही ये बल्लेबाज कभी टीम इंडिया का सितारा था.
T20 वर्ल्डकप जो साल 2007 में शुरू हुआ था. उसमें भी उनके बल्ले ने खूब रन उगले. धोनी की अगुवाई वाली युवा टीम जिसने खिताब पर कब्जा किया उसमें गौतम गंभीर का बड़ा योगदान था. आईपीएल में तो उनके जलवे का क्या कहना. कोलकाता नाइटराइडर्स को उन्होंने दो बार अपनी कप्तानी में विजेता बनाया और उनकी कप्तानी में टीम का प्रदर्शन हमेशा उम्दा रहा.
दिल्ली के लिए खेलने वाले इस खिलाड़ी पर जॉय ऑफ सिटी ने जमकर प्यार लुटाया. कमियां हर किसी में होती है और उनमें भी थी. शायद ज़रूरत से ज़्यादा आक्रामकता और साफगोई उन पर भारी पड़ गई. टीम इंडिया में वापसी को वह लंबे समय से कोशिश कर रहे थे पर शायद वे जान गए थे यह अब नहीं हो सकता. लोग सुनील गावस्कर को भारत का सर्वश्रेष्ठ टेस्ट मैचों का ओपनर बताते हैं पर जिस पीढ़ी ने सहवाग और गौतम को टेस्ट मैच में ओपनिंग करते देखा है वो इससे इनकार नहीं कर सकते कि गौतम गंभीर शानदार ओपनर थे.
विविध विषयों पर लिखने वाले हेमराज सिंह चौहान पत्रकार हैं और अल्मोड़ा में रहते हैं.
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