7 फरवरी 2021 को चमोली जिले में ऋषिगंगा नदी में भयानक आपदा आई. इस आपदा की वजह से तपोवन और रैणी गांव भी खासे प्रभावित हुये. रैणी गांव के मकानों में दरारे इस घटना के बाद से हैं. 7 फरवरी के भयावह आपदा के पीछे गांव में छुटी इन दरारों ने रैणी गांव के लोगों के भीतर ऐसा खौफ़ भरा की अब हल्की बारिश शुरु होते ही वह ऊंचाई में स्थित उडयारों में पनाह ले लेते हैं. फरवरी के बाद से नदी के उफान लेते ही गांव के लोग सुरक्षा के लिए रतजगा करने को मजबूर हैं.
(Gaura Devi Village Raini in Danger)
जिला प्रशासन फरवरी माह से 300 से अधिक आबादी वाले रैणी गांव के लोगों की विस्थापन की फाइल दबाकर बैठा है. फरवरी महीने से देहरादून से आने वाली जियोलॉजिस्ट टीम का हवाला देकर गांव के लोगों का विस्थापन लगातार टाला जा रहा है. बीते दिनों हुई लगातार बारिश की वजह से गांव के हालात इस कदर बिगड़ गये की गांव में स्थित गौरा देवी की प्रतिमा भूस्खलन की ज़द में आ घिरी.
आनन-फानन में प्रशासन ने तीन-एक दिन पहले गौरा देवी की प्रतिमा को उसके स्थान से हटाया. हिन्दुस्तान समाचार की आज की रिपोर्ट के अनुसार रैणी गांव में भूस्खलन का खतरा बढ़ चुका है. चार दिन की बारिश से गांव की जमीन दरक रही है और यहां के 13 परिवारों को स्कूल में शरण लेनी पड़ी है.
(Gaura Devi Village Raini in Danger)
हिन्दुस्तान की रिपोर्ट के अनुसार गांव वालों का कहना है कि पता नहीं अब गांव का क्या होगा. इस बरसात में उन्हें भी कहीं और जाना पड़ेगा या फिर आपदा की भेंट चढ़ जाएंगे. रैणी के सूरज सिंह राणा, बचन सिंह कहते हैं – सरकार और प्रशासन हमें सिर्फ आश्वासन देता है, वह वादे करता है. हमें स्थाई समाधान चाहिए, लेकिन इस समस्या का हल कोई ढूंढ नहीं रहा है. एक-एक कर हम अपना घर छोड़कर बेघर हो रहे हैं.
हिमांशु कुमार लाल द्वारा पब्लिश हिन्दुस्तान की इस रिपोर्ट में रैणी के गांव के प्रधान भवान सिंह के हवाले से लिखा गया है कि तहसील प्रशासन ने आपदा प्रभावित परिवारों को रैणी वल्ली में ठहरा दिया है. उन्हें राहत के नाम पर केवल कुछ गद्दे दिए हैं. न ओढ़ने की व्यवस्था और न खाने का ही पर्याप्त इंतजाम किया गया है. इस आपदा में लोगों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया है. रैणी गांव की सोनी देवी ठेठ गढ़वाली भाषा में अपना दर्द बताते हुये कहती हैं-
सरकार हमारी क्वे सुध बुद नि ल्योणी. हमुन कख जाण
सरकार हमारी कोई सुध नहीं ले रहे हैं, हम जाएं तो कहां जाएं.
रैणी गांव की विद्या देवी कहती हैं – गांव पर आफत आ गई है. हर तरफ से गांव की जमीन खिसक रही है. सरकार से विस्थापन की मांग की कई बार गुहार भी लगाई पर कोई सुन ही नहीं रहा है. हम अपने पैतृक घरों को छोड़ने के लिए मजबूर हो रहे हैं. पूरे गांव पर ही संकट है. बस दिन गिन रहे हैं.
यह जमीनी हकीकत गौरा देवी के गांव रैणी की है. गौरा देवी, चिपको आन्दोलन वाली ‘गौरा देवी’.
(Gaura Devi Village Raini in Danger)
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