Related Articles

3 Comments

  1. Anonymous

    Interesting

  2. Shashank

    Kripya aap dusri site se copy paste na karen.. ye story apne humari site se copy ki..

  3. हेम पन्त

    शशांक जी आपकी वेबसाइट कौन सी है,, जरा लिंक भेजिए।
    ये एक लोककथा है और मैने अपने इन्हीं शब्दों में लगभग 12 साल पहले CreativeUttarakhand डॉट कॉम के लिए इसे लिखा था। अब ये वेबसाइट बन्द है।

    जिन कहानियों को हम अपने दादी-नानी से सुनकर बड़े हुए हैं उन पर किसी का कॉपीराइट नही होता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

2024©Kafal Tree. All rights reserved.
Developed by Kafal Tree Foundation