भारत के सर्वश्रेष्ठ बाक्सरों ओमप्रकाश भारद्वाज, किशन सिंह, जगजीवन सिंह, पद्म बहादुर मल्ल, एमके राय, एसके राय, एमएल विश्वकर्मा, डॉ॰ धर्मेंद्र भट्ट, भास्कर भट्ट, राजेंद्र सिंह, प्रकाश थापा, हवा सिंह, सीएल वर्मा, संतोष भट्ट आदि में बाक्सिंग के अलावा एक और समान बात है जो इन सभी को एक ही कड़ी में जोड़ती है. वह हैं उनके कोच कैप्टन हरि सिंह थापा (Captain Hari Singh Thapa).
भारतीय बाक्सिंग के पितामह कहे जाने वाले कैप्टन हरि सिंह थापा मूल रूप से पिथौरागढ़ के थे. 72 साल की उम्र में भी कैप्टन हरि सिंह थापा को पिथौरागढ़ स्थित अपने गांव नैनी-सैनी में छोटे-छोटे बच्चों को निःशुल्क प्रशिक्षण देते हुये देखा जा सकता था. पिथौरागढ़ लौटने के बाद लम्बे समय तक कैप्टन हरि सिंह थापा को देवसिंह मैदान में सुबह-सुबह बच्चों को प्रशिक्षित करते देखा जा सकता था. यह उनकी ही मेहनत का फल था कि देवसिंह मैदान में एक बाक्सिंग रिंग के आकर पूरा ढांचा बना था. उनके सिखाये पिथौरागढ़ के बहुत से लड़कों ने राष्ट्रीय अन्तर्राष्ट्रीय पदक अपने नाम किये.
14 अगस्त 1932 को झाँसी में पैदा हुए हरि सिंह थापा के पिता जीत सिंह थापा ब्रिटिश इण्डियन टूप्स में सेवारत थे. पिता जीत सिंह थापा 1933 में सेना से सेवानिवृत्ति होकर बच्चों की शिक्ष-दीक्षा के चलते मऊ में सिविल नौकरी करने लगे. हाईस्कूल के बाद हरी सिंह थापा भी सिग्नल ट्रैनिंग सेंटर की बॉय रेजिमेंट में भर्ती हो गये.
सेना में उन्होंने फुटबॉल, तैराकी, मुक्केबाज़ी आदि खेलों में भाग लिया. अंत में बॉक्सिंग कोच डिमैलो कि प्रेरणा से उन्होंने बॉक्सिंग को अपना मुख्य खेल बना लिया. कुछ समय में बटालियन की बाक्सिंग चैपियनशिप हरी सिंह थापा ने अपने नाम कर ली.
1950 में कैप्टन हरि सिंह थापा ने राष्ट्रीय बाक्सिंग प्रतियोगिता के मिडिलवेट वर्ग में स्वर्ण पदक जीता. 1950 से 1959 तक के वर्षों में हरी सिंह थापा मिडिलवेट वर्ग में लगातार सर्विसेज के चैम्पियन रहे. 1957 में रंगून में हो रही दक्षिण-पूर्व एशियन बाक्सिंग चैम्पियनशिप में हरी सिंह थापा ने गोल्ड मैडल जीता.
1958 में एशियाई खेलों का आयोजन टोकियो में हुआ. हरि सिंह थापा को फाइनल के दिन दो मुकाबले खिलाये गए. इसके बावजूद हरि सिंह थापा फाइनल में ताइवान के अपने प्रतिद्वंद्वी चाइंग लोपो पर भारी पड़ते दिखे. लेकिन इस मैच में रैफरी के विवादास्पद निर्णय के कारण कैप्टन हरि सिंह थापा को रजत पदक से ही संतोष करना पड़ा.
1958 में कार्डिक में हुए कामनवैल्थ गेम्स में हरि सिंह थापा ने भारतीय मुक्केबाजी टीम का भी नेतृत्व किया. दुर्भाग्य से हरि सिंह थापा प्रैक्टिस के दौरान चोटिल हो गये और डॉक्टर की सलाह पर उन्हें आगे खेलने से रोक दिया गया.
1961 से हरि सिंह थापा राष्ट्रीय बाक्सिंग टीम के कोच नियुक्त हुए. 1965 तक कैप्टन हरि सिंह थापा इस पद पर रहे. खेल में आग इ रहने वाले हरि सिंह थापा ने सेना में भी अपना सर्वश्रेष्ठ दिया. चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश तीनों युद्ध में कैप्टन हरि सिंह थापा ने अपनी सेवा सेना को दी.
सेना से लौटने के बाद वह अपने गांव नैनी-सैनी में रहने लगे. युवाओं को नशे की बुरी लतों से बचाने के लिये उन्होंने पिथौरागढ़ जनपद में ही युवाओं को निःशुल्क बाक्सिंग ट्रेनिंग शुरू की. उनका उदेश्य युवाओं में खेल के प्रति रूचि पैदा करना रहता था. आज पिथौरागढ़ में हरि सिंह थापा के नाम पर प्रतिवर्ष एक बाक्सिंग चैम्पियनशिप आयोजित की जाती है. उत्तराखण्ड सरकार ने कुछ वर्षों पहले ही देश को बाक्सिंग में पहला अन्तराष्ट्रीय पदक दिलाने वाले कैप्टन हरि सिंह थापा को उत्तराखण्ड द्रोणाचार्य पुरुस्कार प्रदान किया है.
– गिरीश लोहनी
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आप समय समय पर उत्तरांचल के होनहारों से अवगत कराते रहते हैं । धन्यवाद
हो सके तो अल्मोड़ा के श्री डॉ सुधीर शाह के जीवन पर भी कुछ प्रकश डाल दे