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भारत पाकिस्तान में कोई हारा हो या न हारा हो, मीडिया दोनों देशों का हार चुका है

तारीख : 26 फरवरी
समय : शाम का
जगह : हल्द्वानी में चाय की दुकान

दिखा दिया बेटे बाप बाप होता है. एक हज़ार किलो बम फोड़ा है. साढ़े तीन सौ पाकिस्तानी उड़ा दिये. कहा था ना मोदी करेगा. कर दिया मोदी ने. फोड़ दिया मोदी ने. ये देख. वीडियो. कैसे सुअर साले भाग रे. पहले पांच किलो टमाटर फेंके जैसे बाहर आये बम फेंक दिये. सब उड़ गये साले. ( पाठक पूर्ण विराम के स्थान पर मां बहन की गालियों का उचित अनुचित प्रयोग कर सकते हैं )

तारीख : 28 फरवरी
समय : सुबह का
जगह : हल्द्वानी में चाय की दुकान

आये थे साले आज. सालों का एफ शिक्सटिन उड़ा दिया आज. अपने जैसा समझा है. एक कमांडो भी पकड़ा गया यार हमारा. लेकिन बहादुर हुआ भारत का कमांडो ना. असल में उसका फाइटर दूसरी तरफ पाकिस्तान वालों के कब्जे वाले कश्मीर में गिर गया. सुबह का पौने नौ बजा होगा. जब कमांडो को लगा कि उसका विमान जल रहा है तो उसने लगा दी कूद. अब साला चार हजार फीट से कूदा हुआ मजबूती देख रहे हो जिन्दा बच गया. अब साली होस आई तो लोगों से पूछा कि ये भारत है या पाकिस्तान. शातिर पाकिस्तानियों ने एकजुट बोल दिया कि भारत है. कमांडो. कमांडो हुआ भाई लगा जोर से कैने लग गया भारत माता की जै. अब साले पाकिस्तान वाले कहां सुनते भारत माता की जै. चिल्लाने लग गये साले पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे. कमांडो गया अब समझ कि बेटे वो दुश्मन देश में है. उसने निकाली रिवाल्वर और दी धांय एक हवा में. अब साले पाकिस्तानी रह गये दंग. और कमांडो ने लगाई है दौड़. कोई एक किलोमीटर दौड़ते रहा. आगे आगे कमांडो पिछे पाकिस्तानी सालो.

कुछ नि बनी तो सालों ने पत्थर मारने शुरु कर दिया. है साले मां के पेट से पत्थर मारना सीखे हुए. अब कमांडो भीड़ को देख कर डरा नि भाई. रिवाल्वर से कई फायर किये और दौड़ते रहा. जब कामांडो को लगा कि यार ये साले पाकिस्तानी कुत्तों की तरह आते रहेंगे तो लगा दी नदी में छलांग. फिर अपनी पहचान के डाक्यूमेंट और सीकरेट डाक्यूमेंट नदी में बहा दिये जो बचे उनको मुंह में डाल के निगल दिया. (पाठक फिर से प्रत्येक पूर्ण विराम पर सुविधा अनुसार गालियां लगा सकता है)

ये दोनों बातें हल्द्वानी के एक चाय की दुकान की मालिक की कही हुई हुबहू हैं जिसमें गालियों की जगह पूर्ण विराम लगा दिया गया है. सज्जन चाय बहुत अच्छी बनाते हैं चाय बेचकर ही वह अपना और अपने परिवार का पालन कर रहे हैं. दोनों किस्से या बातें जो भी कहिये उन्होंने अपने ग्राहकों से चाय बनाना छोड़कर कही हैं. मजे की बात है कि हमेशा जल्दी में रहने वाले उसके ग्राहक आज न केवल उसकी बातें सुन रहे हैं बल्कि उसके ज्ञान से प्रभावित हुये बिना भी नहीं रह रहे हैं. कुल मिलाकर दुकान में सभी एकमत हैं.

पुलवामा हमले के बाद भारत में पाकिस्तान पर हमले को पब्लिक ओपिनियन बताया गया है. भारत के अधिकांश लोग यह मानने लगे हैं कि पाकिस्तान पर हमला किया जाना चाहिये. फिर वह आठवीं में पढ़ने वाला बच्चा हो या अस्सी बरस का बूढा. यहां अधिकांश का अर्थ पचास प्रतिशत से अधिक से है. यही स्थिति पाकिस्तान की भी है वहां भी एयर स्ट्राइक के बाद मीडिया ने भारत-पाक युद्ध का माहौल बनाया.

यह ओपिनियन दोनों देशों के लोगों के मन में डाला गया है. पुलवामा हमले के बाद भारत के इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने अपने चैनलों पर रिटायर्ड जनरलों को खड़ा कर दिया. हर जनरल से एक ही सवाल होता भारत हमला कैसे करे? भारत कैसे पाकिस्तान को तबाह कर दे? भारत कैसे पाकिस्तान को सबक सिखाये? पाकिस्तान का इलेक्ट्रॉनिक मीडिया इन मामलों में भारत से एक कदम आगे रहता है या यों कहिये कि इस गर्त में हमसे एक फीट और नीचे है.

पुलवामा हमले के बाद भारतीय मीडिया ने अलग-अलग खबरों के जरिये एक माहौल क्रियेट किया जो भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध के निष्कर्ष पर पहुंचा. इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की गला फाड़ मेहनत रंग लायी और देश के लोगों को लगने लगा की भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ गया है.

जब कभी भी पुलवामा जैसी आतंकी घटनायें होती हैं सरकार और सेना से पहले ही मीडिया घुस जाता है और एक ओपिनियन सेट करना शुरु कर देता है. अपनी बात को मीडिया न्याय की मांग के नाम पर जस्टीफाई करने की कोशिश करता है. इसके लिये चुनिन्दा शब्दों जैसे बदला, हमला, रण, चीरना, काटना आदि का प्रयोग किया जाता है. इनमें ऐसे शब्दों का का प्रयोग किया जाता है जिससे लोगों के बीच घृणा फैलाई जा सके.

भारत में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में तेजी की शुरुआत लगभग 1997 से होती है. आज एक आम भारतीय ख़बरों को न केवल हिन्दी अंग्रेजी में देख सकता है बल्कि अपनी स्थानीय भाषाओं में भी उसे ख़बरें मिलती हैं और यही ख़बरें उसके दिमाग में एक पब्लिक ओपिनियन बना देती हैं. इसे कुछ इस तरह समझा जा सकता हैं :

पुलवामा हमले के बाद न्यूज एंकर

उबल रहा है भारत. भारत बदला चाहता है. पुलवामा में हुए हमले का बदला. चालीस जवानों की सहादत का बदला चाहता है भारत. भारत पाकिस्तान पर सीधा हमला कर सकता है, भारत पानी रोककर पाकिस्तान पर हमला कर सकता है और सबक सीखा सकता है. भारत आर्थिक युद्ध छेड़ सकता है. अन्तराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान को नंगा कर अलग-थलग कर सकता है.

एयर स्ट्राइक के बाद न्यूज एंकर

बदले की आग अभी ठंडी नहीं हुई है. भारत के हमले से छटपटा रहा है पाकिस्तान. भारतीय सेना ने उड़ाई पाकिस्तान की नींद. सोने नहीं देगा पाकिस्तान को भारत. अभी तो शुरुआत है पाकिस्तान नहीं माना तो खत्म कर देगा भारत. एक हज़ार किलो बम इमरान खान को हिलाकर रख दिया.

दोनों ही मौकों पर न्यूज एंकर दर्शक के दिमाग से खेलता है और बिना दर्शक की जानकारी के उसके दिमाग में वही भरता है जिसे वह पब्लिक ओपिनियन बनाना चाहता है.

इस पब्लिक ओपिनियन को और ज्यादा मजबूत किया जाता है सोशियल मीडिया के द्वारा. वाट्सएप्प फेसबुक के द्वारा वीडियो एडिट कर, फोटो एडिट कर इस पब्लिक ओपिनियन को बल दिया जाता है.

इस पूरी घटना में देखा जाय तो भारत में एक आतंकी हमला हुआ था. जिसका आधिकारिक आरोप भारत सरकार ने न तो पाकिस्तान पर लगाया न पाकिस्तान ने स्वयं यह आरोप लिया. हमले की जिम्मेदारी लेने वाला ग्रुप पाकिस्तान से एक्टिव होता है यह भारत सरकार का अधिकारिक बयान था जिसे मीडिया ने पाकिस्तान सरकार के रुप में बदला. भारत सरकार ने आतंकी घटना के बाद की गई कारवाई को असैन्य कारवाई कहा जिसे मीडिया ने भारत का पाकिस्तान पर हमला बताया.

दोनों देशों ने अभी तक किसी भी आधिकारिक बयान में भारतीय कारवाई के बारे में यह नहीं बताया गया है कि कितना बम गिराया गया लेकिन भारत का बच्चा-बच्चा जानता है कि हजार किलो बम गिरे और तीन सौ आतंकवादी मारे गये.

कुल मिलाकर इस पूरे घटनाक्रम के बाद न भारत जीता या न पाकिस्तान हारा लेकिन इतना तय है कि दोनों देशों का मीडिया जरुर हार गया है. चिंता की बात यह है कि पाकिस्तान की मीडिया तो एक दशक पहले हार चुका थी लेकिन अब भारतीय मीडिया भी पूरी तरह परास्त हो चुका है.

डिस्क्लेमर- यह लेखक के निजी विचार हैं.

– गिरीश लोहनी
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Girish Lohani

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