Featured

‘दूबे जस जड़ है जाये’ उत्तराखण्ड की लोक परम्परा में दिया जाने वाला आशीर्वाद

दूब की कोमल घास को भगवान गणेश की पूजा में भी अर्पित किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि दूब की घास के जड़ पर ब्रह्मा, मध्य पर विष्णु और अगले हिस्से पर शिव का वास होता है. Doob Ghass in Uttarakhand

गांव घरों में आज भी घर के बड़े बुजुर्ग ही बच्चों के दांत तोड़ते हैं. उत्तराखंड में दांत तोड़ने के बाद उसे बच्चों के हाथ में देकर एक विशेष घास में फेंकने को कहा जाता है इस घास का नाम है ‘दूब’.

उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में मान्यता है कि दूब की घास में टूटा हुआ दांत डालने से दांत न केवल जल्दी आता है बल्कि मजबूत भी आता है. दूब की घास को अत्यंत पवित्र माना जाता है. इसी कारण जहां भी दूब होता है वहां गंदगी नहीं की जाती है.

आयुर्वेद में कोमल दूब की घास को महाऔषधि माना जाता है. दूब की जड़ें, तना, पत्तियां सभी को आयुर्वेद में अनेक रोगों के उपचार के लिए उपयोग में लाया जाता है.

दूब की घास का स्वाद कड़वा-मीठा होता है. इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, फाइबर, पोटेशियम पर्याप्त मात्रा में विद्यमान होते हैं. यह पेट के रोगों, यौन रोगों, लीवर रोगों के लिए असरदार मानी जाती है. 

दूब को संस्कृत में ‘दूर्वा’ घास कहा जाता है. हिन्दू कर्मकांडों में दूब की घास का अत्यंत महत्त्व है. इसे सबसे पवित्र घास माना जाता है. सभी कर्मकांडों में दूब की घास का प्रयोग किया जाता है. जहां भी गणेश की पूजा होती है वहां सबसे पहले दूब को चढ़ाया जाता है. पार्थिव पूजा में भी दूब की तीन पत्ते वाली 108 तिनके चढ़ाये जाते हैं.

उत्तराखंड के लोक जीवन में दूब की घास से जुड़े अनेक लोकोक्तियां एवं आशीर्वाद हैं. यहां भाई दूज के दिन दूब की घास के तिनकों से ही बहिन अपने भाई के सिर पर तेल की धार डालती है.

‘दूबे जस जड़ है जाये’ स्थानीय लोक परम्पराओं में दिया जाने वाला एक आशीर्वाद है. Doob Ghass in Uttarakhand

-काफल ट्री डेस्क

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: Kafal Tree Online

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Girish Lohani

View Comments

Recent Posts

‘पत्थर और पानी’ एक यात्री की बचपन की ओर यात्रा

‘जोहार में भारत के आखिरी गांव मिलम ने निकट आकर मुझे पहले यह अहसास दिया…

2 days ago

पहाड़ में बसंत और एक सर्वहारा पेड़ की कथा व्यथा

वनस्पति जगत के वर्गीकरण में बॉहीन भाइयों (गास्पर्ड और जोहान्न बॉहीन) के उल्लेखनीय योगदान को…

2 days ago

पर्यावरण का नाश करके दिया पृथ्वी बचाने का संदेश

पृथ्वी दिवस पर विशेष सरकारी महकमा पर्यावरण और पृथ्वी बचाने के संदेश देने के लिए…

5 days ago

‘भिटौली’ छापरी से ऑनलाइन तक

पहाड़ों खासकर कुमाऊं में चैत्र माह यानी नववर्ष के पहले महिने बहिन बेटी को भिटौली…

7 days ago

उत्तराखण्ड के मतदाताओं की इतनी निराशा के मायने

-हरीश जोशी (नई लोक सभा गठन हेतु गतिमान देशव्यापी सामान्य निर्वाचन के प्रथम चरण में…

7 days ago

नैनीताल के अजब-गजब चुनावी किरदार

आम चुनाव आते ही नैनीताल के दो चुनावजीवी अक्सर याद आ जाया करते हैं. चुनाव…

1 week ago