रूद्रप्रयाग से 49 किमी की दूरी पर स्थित देवरिया ताल एक दिलकश हिमालयी है. हरे भरे जंगलों से घिरी इस अद्भुत झील के आईने में गंगोत्री, बद्रीनाथ, केदारनाथ, यमुनोत्री और नीलकंठ की चोटियों के साथ चौखम्बा पर्वत श्रृंखलाओं की स्पष्ट छवि प्रतिबिंबित होती है. समुद्र तल से 2438 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह झील चोपटा–ऊखीमठ रोड में सारी गाँव से ढाई किमी के पैदल रास्ते की दूरी पर है. यह झील यहाँ आने वाले यात्रियों को कैम्पिंग, कांटेबाजी और विभिन्न पक्षियों को देखने के अवसर प्रदान करती है.
देवरियाताल से सटे छोटे से घास के मैदान में रात को टेंट में रहने का अनुभव अद्भुत होता है. यहाँ रात भर के शिविर की नीरवता में आप प्रकृति से बेहतरीन ढंग से एकाकार हो सकते हैं. यहाँ आप छोटे-बड़े कई किस्म के ट्रैक भी कर सकते हैं. यहाँ आने वाले ट्रेकर्स आमतौर पर चोपटा से चढ़ाई शुरू करते हैं, जो दुर्गम हिमालयी रास्ते से देवरिया ताल को और तुंगनाथ और चंद्रशिला को जोड़ता है. किंवदंतियों के अनुसार देवता इस झील में स्नान करते थे अतः पुराणों में इसे ‘इंद्र सरोवर’ के नाम से उल्लेखित किया गया है. जनश्रुतियां हैं कि ‘यक्ष’ जिसने पांडवों से उनके वनवास काल के दौरान सवाल किए वे इसी झील में रहते थे. ऊखीमठ से भी एक लंबा ट्रैक सीधा देवरिया ताल तक पहुँचता है.
(सभी फोटो: सुधीर कुमार)
सुधीर कुमार हल्द्वानी में रहते हैं. लम्बे समय तक मीडिया से जुड़े सुधीर पाक कला के भी जानकार हैं और इस कार्य को पेशे के तौर पर भी अपना चुके हैं. समाज के प्रत्येक पहलू पर उनकी बेबाक कलम चलती रही है. काफल ट्री टीम के अभिन्न सहयोगी.
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