दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर उत्तराखण्ड के विश्वविख्यात पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा को भारत रत्न देने की मांग की है. इससे पहले दिल्ली सरकार द्वारा दिल्ली विधानसभा की स्मृति गैलरी में सुंदर लाल बहुगुणा का चित्र लगाया गया.
अब दिल्ली के मुख्यमंत्री ने पत्र लिखकर बहुगुणा को भारत रत्न देने की मुहीम शुरू की है. अपने पत्र में केजरीवाल ने लिखा है— इस वर्ष हम देश की आजादी के 75 वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं. श्री सुंदर लाल बहुगुणा ने अपना बचपन गांधी की प्रेरणा से स्वतंत्रता संग्राम में देश को आज़ाद करने के लिए लड़ते हुए बिताया. आज़ादी के बाद संत विनोबा भावे की प्ररणा से भूदान और ग्राम स्वराज योजना के कार्यक्रमों में लग गए. जिस समय दुनिया आँख बंद कर पर्यावरण के दोहन में लगी थी और पर्यावरण संरक्षण के लिए कोई अंतर्राष्ट्रीय विमर्श भी नहीं था, उस समय उन्होंने राष्ट्र और समूचे विश्व पर आने वाले खतरे को भांपते हुए स्वयं को पर्यावरण की रक्षा के यज्ञ में समर्पित कर दिया. उनके द्वारा शुरू किया गया चिपको आन्दोलन उत्तर भारत में हिमालय से शुरू होकर दक्षिण में कर्नाटक तक पहुंचा.
पत्र में सुंदर लाल बहुगुणा को भारत रत्न देने की अपील करते हुए कहा गया है कि— आज़ादी के 75वें साल में जब हम अपने स्वतंत्रता सेनानियों और पिछले 75 वर्ष के सफ़र में राष्ट्र को सही दिशा देने वाले गणमान्य व्यक्तियों को सम्मानित करने का काम कर रहे हैं तो ऐसे में दिल्ली सरकार का अनुरोध है कि सुंदर लाल बहुगुणा को भारत रत्न की उपाधि से सम्मानित किया जाये. सुंदर लाल बहुगुणा को भारत रत्न प्रदान करने से इस सम्मान का ही सम्मान होगा.
गौरतलब है इसी वर्ष मई माह में पर्यावरणविद सुंदर लाल बहुगुणा का निधन हुआ था. सुन्दरलाल बहुगुणा ने पर्यावरण को लेकर उत्तराखण्ड में चल रहे चिपको आन्दोलन को वैश्विक स्तर पर पहुंचाया. ‘चिपको आन्दोलन’ के कारण वे विश्वभर में ‘वृक्षमित्र’ के नाम से प्रसिद्ध हो गए. बहुगुणा के ‘चिपको आन्दोलन’ का घोषवाक्य है ‘क्या हैं जंगल के उपकार, मिट्टी, पानी और बयार. मिट्टी, पानी और बयार, जिंदा रहने के आधार.’
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