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जिम कॉर्बेट की उससे पहली मुलाक़ात इत्तफाक से हुई. कड़ी सर्दी वाले एक दिन जिम और उनकी एक दोस्त किसी परिचित के घर गए हुए थे जिसकी पालतू कुतिया ने तीन माह पहले सात बच्चे जने थे. जिम की दोस्त को दिखाने के लिए उस ढंकी हुई मैली सी टोकरी को उघाड़ा गया जिसमें ये बच्चे सोये हुए थे.
(Corbett’s faithful hunting companion Robin)
उन सात बच्चों में से जो सबसे कमज़ोर था वह किसी तरह टोकरी से बाहर निकल आया और जिम के पैरों के बीच में गुड़ीमुड़ी होकर लेट गया. उसे कांपता हुआ देख जिम ने उसे उठा लिया और अपने कोट के भीतर रख लिया. जिम की इस सहानुभूति का बदला बच्चे ने उनका मुंह चाट कर दिया. इस मोहब्बत के एवज में जिम ने उसकी देह से निकल रही दुर्गन्ध को अनदेखा किया.
बताया गया बच्चे का बाप एक निपुण शिकारी कुत्ता था. हालांकि जिम के भीतर कुत्ता पालने की ऐसी कोई इच्छा नहीं थी तो भी उन्होंने स्पेनियल प्रजाति के उस दयनीय पिल्ले को अपने साथ लाने का फैसला किया.
बच्चे का नामकरण पहले से ही हो चुका था – पिंचा. जिम ने उसे नया नाम दिया – रॉबिन. जिम के बचपन में उनके घर इसी नाम का एक कुत्ता हुआ करता था जिसने एक दफा छह साल के जिम और चार साल के उनके छोटे भाई की भालू के हमले से जान बचाई थी.
(Corbett’s faithful hunting companion Robin)
जिम ने बहुत लाड़ के साथ रॉबिन की परवरिश की और उसके तंदुरुस्त हो जाने पर उसे शिकार पर जाने का प्रशिक्षण देना शुरू किया.
अगले बारह सालों तक जिम के हर शिकार-अभियान में रॉबिन उनके साथ रहा. उसकी बुद्धिमत्ता, बहादुरी और वफ़ादारी की तमाम कहानियां जिम कॉर्बेट ने अपनी एक किताब में दर्ज की है.
जिम उसके बारे में ऐसे बात करते हैं जैसे एडमंड हिलेरी तेनजिंग नोर्गे के बारे में और उस्ताद नुसरत फ़तेह अली खान अपने तबलावादक उस्ताद दिलदार हुसैन के बारे में किया करते थे.
जिम कॉर्बेट का घर मेरे शहर से कोई तीस किलोमीटर दूर कालाढूँगी में हुआ करता था. जंगलात विभाग ने उसे एक संग्रहालय में तब्दील कर रखा है. अक्सर रामनगर आते-जाते वह मेरे रास्ते में पड़ता है. बार-बार देख चुकने के बाद भी मुझसे वहां जाए बगैर नहीं रहा जाता.
संग्रहालय में जिम के जीवन की बानगियाँ देखने को मिलती हैं – उनके माता-पिता की तस्वीरें, उनकी लिखी चिठ्ठियाँ, बेंत का बना उनका सोफा जो हर बार पिछली बार से ज्यादा जर्जर हो गया नज़र आता है, उनकी डांडी उनका गिलास वगैरह-वगैरह.
(Corbett’s faithful hunting companion Robin)
संग्रहालय परिसर का एक कोना अक्सर आने-जाने वालों की निगाह से छूट जाता है. यहाँ दो कब्रें हैं जिनमें कॉर्बेट के कुत्ते – रॉबिन और रोसीना दफ़न हैं.
जिम ने रोसीना के बारे में कहीं कुछ लिखा होगा तो वह निगाह से आज तक नहीं गुज़रा है अलबत्ता उनकी सुनाई रॉबिन की सारी कहानियां कंठस्थ हैं.
अक्सर यूं भी होता है कि नवम्बर-दिसंबर की किसी धूपदार दोपहरी में संग्रहालय के बाहर खुली घास में मुझे कुर्सी पर अधलेटे जिम कॉर्बेट नज़र आ जाते हैं. उनका रॉबिन, जो उनके लाड़ के बगैर पिंचा बना रहकर कहीं अनजान मर गया होता, उनके पैरों के बीच अलसाया लेटा होता है.
रॉबिन को अमर बना देने वाले जिम ने लिखा है – “तब वह तीन माह का था और मैंने उसे पंद्रह रुपए देकर खरीदा था. अब वह तेरह बरस का है और सारे भारत का सोना देकर भी उसे नहीं खरीदा जा सकता.”
(Corbett’s faithful hunting companion Robin)
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