मोदी सरकार द्वारा कश्मीर से धारा-370 हटाने के बाद सोशल मीडिया में ढेरों चुटकुलों की बाढ़ आ गयी. जिस बात को सबसे ज्यादा कहा जा रहा है वह यह है कि अब गैर कश्मीरी भी कश्मीर में जमीन खरीद सकेंगे और वहां की लड़कियां भोग सकेंगे.
गौर से देखे तो पाएंगे कि उत्तराखंडी होने के नाते क्या हम खुद इसी घटिया मानसिकता का शिकार नहीं हैं? उत्तराखण्ड की वे सभी लोकप्रिय और गुमनाम खूबसूरत जगहें इसी विचार से कब्ज़ा ली गयी हैं. सिर्फ नैनीताल जिले का ही हाल देखें तो यहाँ भवाली-मुक्तेश्वर और भीमताल-पदमपुरी-मुक्तेश्वर तक का पूरा इलाका मैदानी लोगों द्वारा खरीदा जा चुका है. इन जगहों पर या तो धन्नासेठों के होटल, रिसोर्ट, आउटहाउस बने हुए हैं या फिर भविष्य में ऐसा करने के विचार से इसे खरीद लिया गया है. रामनगर, कौसानी, बिनसर, कसार देवी. चौकोड़ी, शीतलाखेत सभी जगहों पर यही हाल है. इन सभी सुरम्य स्थलों की 90 फीसदी जमीनें बाहरी लोगों द्वारा कब्ज़ा ली गयी हैं.
इन लोगों का मकसद यहाँ बसना, इस जगह को अपनाना कतई नहीं है. वे बस मूड बनने पर अपनी अय्याशी के लिए यहाँ आना चाहते हैं. उनके पीछे कोई भोला-भाला आल इन वन पहाड़ी नौकर इस संपत्ति की देखरेख किया करता है. वह इस संपत्ति का कर्मठ चौकीदार, माली, प्लंबर, इलेक्ट्रीशियन, सफाईकर्मी समेत बहुत कुछ होता है, उनकी मौजूदगी में मामूली वेतन पर काम करने वाला यही पहाड़ी उनका खानसामा, वेटर, बाजार करने वाला भी बन जाता है.
पहाड़ में जमीन कब्ज़ा चुके इन अय्याशों की अगली प्राथमिकता हुआ करती है लड़की. होटल उद्योग में काम करने वाले निचले स्तर के कर्मचारियों से बात करें तो पता चलता है कि यहाँ आने वाले ज्यादातर लोग उनसे पहाड़ी लड़की की मांग करते हैं. उन पर ऐसी व्यवस्था करने का दबाव बनाया जाता है, प्रलोभन दिए जाते हैं. अमूमन वे इसकी व्यवस्था साथ करके लाये होते हैं. फिर भी उनकी चाहतों की सूची में सबसे ऊपर होती है पहाड़ी लड़की के साथ एक रात गुजारना.
जिस नियत से कश्मीर में धारा 370 हटाने के फायदों को देखा जा रहा है उत्तराखण्ड राज्य उसका भुक्तभोगी है. अगर उत्तराखण्ड राज्य का कोई सशक्त राजनीतिक स्वर होता तो निश्चित तौर पर यहाँ धारा-370 जैसे ही किसी प्रावधान को लागू किया गया होता.
-सुधीर कुमार
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1 Comments
विजय
Pahar मैं property Indian ही kharid रहा है कोई विदेशी नहीं और pahari लड़की वाली बात तो बिल्कुल ग़लत है
Pahar मैं रहने वाला pahari