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2 Comments

  1. Anonymous

    गजब़नाक !!!!!
    सोमरससिक्त जिह्वा भाषित लफ्ज नैसर्गिक.मुफ्त राइड याचक की फ़जीहत,सीट संकरी धरा विस्तारशीला आदि……
    सांगोपांग हैं।
    शब्दों के शिल्पी लेखक मनोभाव के अणुवीक्षण में सिद्धहस्त तो बेशक हैं ही ।
    अपने भुल्ला को बेपनाह मुबारकाँ !!!!!
    M.S.Rayal

  2. Anonymous

    मैं ही सूर्य मैं ही मनु। आनंद । ?

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