नरेंद्र मोदी उन चंद लोगों में हैं जिन्होंने बाल्यकाल से ही भारत को विश्वगुरु बनाने की ठानी है. अपनी शिक्षा के लिये उन्होंने घर छोड़ा और एक ऐसी जादुई डिग्री हासिल कर ली जिसमें वर्ष, विश्वविद्यालय और प्राप्तांक सुविधा के अनुसार बदले जा सकते हैं.
नरेंद्र मोदी के जीवन के कई उदाहरण ऐसे हैं जो बतलाते हैं कि वह एकमात्र जीवित भारतीय हैं जिन्होंने भारत को विश्व गुरु बनाने का प्रण लिया है. गुजरात के मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए नरेंद्र मोदी ने ही गुजरात के बच्चों को बताया कि टेलीविजन का आविष्कार भारत में हुआ है. उन्होंने बताया कि भारत अपनी योग की शक्ति को प्राप्त कर दिव्य दृष्टि प्राप्त कर सकता है. इसी दिव्य दृष्टि की तकनीक को चुरा कर टेलीविजन का आविष्कार किया गया.
भारत का प्रधानमंत्री बनने के बाद मुम्बई में हुए विज्ञान संबंधी एक कार्यक्रम में उन्होंने देश के वैज्ञानिकों को बताया कि प्लास्टिक सर्जरी की खोज भी भारत में हुई थी. अगर नहीं होती तो गणेश भगवान के सिर पर हाथी का सिर कैसे लग जाता? उनकी इस बुद्धिमत्ता पर और बुद्धिमत्ता दिखाते हुए वैज्ञानिकों ने खूब ताली पीटी.
क्या भाषा के क्षेत्र में तू-ता वाली अंग्रेजी की खोज नरेंद्र मोदी को एक महान भाषाविद नहीं बनाती. विश्व में और कितने ऐसे प्रधानमंत्री हैं जो अंग्रेजी में तू-ता कर सकते हैं? प्रधानमंत्री छोड़िये आप एक आदमी दिखा दीजिये जो अंग्रेजी में तू-ता कर सकता है? भारत के विश्वगुरु बनने की राह का पहला रोड़ा अंग्रेजी भाषा है जिसे भाषाविद नरेंद्र मोदी ने अपनी तू-ता वाली अंग्रेजी से ध्वस्त कर दिया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भारत को विश्व गुरु बनाने का सपना और विज्ञान प्रेम 2019 के चुनावों में देखते बनता है. एक ऐसे समय जब लोग धर्म जातपात के नाम पर चुनाव लड़ रहे हैं नरेंद्र मोदी विज्ञान की बातें करते हैं और दुनिया को बताते हैं कि वह भारत में डिजिटल कैमरा चलाने वाले और सबसे पहले ईमेल में फोटो भेजने वाले, वह पहले व्यक्ति हैं.
उनका विज्ञान प्रेम देखिये उन्होंने 35 साल भीख मांगकर गुजारा किया, कभी जेब में बटुआ नहीं रखा. उनके त्याग और समर्पण से प्रसन्न होकर किसी ने उन्हें डिजिटल कैमरा तौहफे में दे दिया. 35 साल भीख मागने से उनका तेज इतना बड़ गया कि उन्होंने बिना इंटरनेट के दिव्य दृष्टि से इमेल में फोटो भेज दिया. बाकी दुनिया कहती रहे ईमेल कब आया, डिजिटल कैमरा कब आया.
यह नरेंद्र मोदी का बड़प्पन और भारत के प्रति उनका समर्पण है कि वह किसी को नहीं बता रहे हैं कि कैसे वह बादलों के पीछे हवाई जहाज छुपाकर पाकिस्तान ले गये और कैसे उन्होंने गिनती न किये जा सकने वाले आतंकियों को मार गिराया.
ऐसा नहीं है कि भारत को विश्वगुरु बनाने की लड़ाई प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने अकेले लड़ी है इसमें उनका साथ गृहमंत्री राजनाथ सिंह समेत भाजपा के अनेक नेताओं ने दिया है. गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने देश को बतलाया था की नासा वासा कुछ नहीं है विश्व के सबसे महान एस्ट्रोलॉजर धोती वाले पंडित हैं जो पंचांग देखकर सब बता देते हैं.
भारत में उच्च शिक्षा की जिम्मेदारी लेने वाले मानव संसाधन मंत्रालय के मंत्री सत्यपाल सिंह ने डार्विन की इवोल्यूशन थ्योरी को चुनौती दी और डार्विन के सिद्धांत को कोरी गप्प बताते हुए कहा कि किसी ने आज तक किसी ने वानर को आदमी बनते नहीं देखा.
भारत को विश्वगुरु बनाने की लड़ाई में बिप्लब कुमार देब और गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपानी जैसे महान सैनिक हमेशा याद रखे जायेंगे. बिप्लव बाबू ने देश को इस ज्ञान से अवगत कराया कि भारत ने सैटेलाइट सिस्टम महाभारत काल में ही बना दिया था. उदाहरण में उन्होंने संजय द्वारा किये गए महाभारत के लाइव टेलीकास्ट का वर्णन किया. विजय रुपानी ने नारद और गूगल की तुलना कर देश को बताया की भारत सूचना एवं प्रसारण के क्षेत्र में कितनी उन्नति कर चुका है.
अगर अब भी आपको लगता है नरेंद्र मोदी भारत को विश्वगुरु बनाने के लिये कुछ नहीं कर रहे हैं तो विज्ञान से आपको श्राप दिया जायेगा और आप पल भर में देशद्रोही बन जायेंगे.
– गिरीश लोहनी
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