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1 Comments

  1. Krishna s chauhan

    समाज मे हर वह व्यक्ति या समूह जो सामाजिक मुद्दों के प्रति जिम्मेदार होने का दावा करता है , तब चाहे वह कोई राजनैतिक दल हो अथवा मीडिया प्लेटफॉर्म , यदि एकतरफा संवाद को ही सुविधाजनक मानता है तो वह कभी भी लोकतांत्रिक नहीं हो सकता । यह स्थिति फासिज्म के बहुत निकट है। उदाहरणार्थ आपके प्लेटफॉर्म को ही ले लें । व्हाट्सएप्प पर ही उपलब्ध इस पत्रिका का अधिकतम संवाद एकतरफा ही है अतः मेरा मानना है कि यह बिल्कुल भी लोकतांत्रिक नहीं है। उदाहरणार्थ आपके इसी कर्नल कोठियाल संबंधी आर्टिकल को ले लें। अब उनके बारे में जो भी आप परोस रहे हैं उसे सच मान लेना आपके प्रसंशकों की बाध्यता है। यही प्रैक्टिस बड़े स्तर पर बड़े राजनैतिक दल कर रहे हैं । वे भी मीडिया को मैनेज कर के मन माफिक नैरेटिव बनाने का प्रयास करते हैं। तो क्यूँ न यह मान लिया जाय कि कर्नल कोठियाल के बहाने काफल ट्री भी राजनैतिक लोगों के हाथों में खेल रहा है।

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