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2 Comments

  1. कवीन्द्र तिवारी

    उम्दा संस्मरण।

  2. Deep Chand Pandey

    बट रोही जी का उपन्यास ‘ थोकदार किसी की नहीं सुनता’ पढ़ा है। साफ़ सफ़ कहूं तो यह मेरे मन पर कोई छाप नहीं छोड़ पाया। बट रोही जी के संस्मरण ज्यादा रोचक हैं।

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