हौंसले अगर बुलन्द हैं और लक्ष्य सामने हो तो किसी भी कार्य को करने में उम्र कहीं आड़े नहीं आती. भारतीय पर्वतारोहण संस्थान नई दिल्ली द्वारा महिलाओं की टीम का लीडर मुझे चुना गया, लक्ष्य था शिखर श्रीकण्ठ जिसकी ऊँचाई 6133 मीटर है. टीम में कुल सदस्यों की संख्या 11 थी जो भारत के विभिन्न राज्यों से टीम में सम्मलित हुये थे. उत्तराखण्ड से अलावा चन्दा, रेखा, शिंलाग से रिवानिशा, डोली गुजरात से, बाली हरियाणा से पंजाब से राजल, जम्मू-कश्मीर से अमरीन तमिलनाडु से वृन्दा फोटोग्राफर, रामानन्द गुजरात से डाक्टर सुरभि इत्यादि.
(Chandraprabha Aitwal Srikanth Summit)
टीम के सभी सदस्यों को 1 अगस्त 2009 को भारतीय पर्वतारोहण संस्थान नई दिल्ली में एकत्रित होने के बाद 4 अगस्त को भारतीय पर्वतारोहण संस्थान के सेक्ट्ररी कर्नल एच एस. चौहान द्वारा संस्थान का व देश का तिरंगा झण्डा सौप कर दिल्ली से उत्तरकाशी के लिए रवाना किया. 05 अगस्त 2009 को उत्तरकाशी पहुँचे.
अभियान के अन्तिम चरण की तैयारी उत्तरकाशी मे पूर्ण करने के पश्चात 7 अगस्त को नेहरू पर्वतारोहण संस्थान उत्तरकाशी के प्राधानाचार्य कर्नल वाई.एस. थापा, संस्थान का पूरा स्टाफ तथा जिलाधिकारी उत्तरकाशी डॉ. बी०वी०आर०सी० पुरूषोतम एवं उत्तरकाशी के समस्त पर्वतारोही प्रेमियों से 08 अगस्त को काशी विश्वनाथ की नगरी से सफल अभियान के लिए शुभकामनाएं लेते हुए रवाना हुए. उस दिन पूरी टीम ने पहले पड़ाव जांगला जो कि उत्तरकाशी से 80 किलोमीटर की दूरी पर है, पर कैम्प लगाया.
9 अगस्त को पैक्ड लन्च के साथ 14 किलोमीटर की पैदल खड़ी चढ़ाई डुडू नदी के किनारे-किनारे होते हुये देवदार, पाइन, भोजपत्र. चिनार आदि के घने जंगलो को पार करते हुए डुडू नदी पर बल्ली द्वारा कच्चा पुल पार करते हुये बायीं ओर जंगलों को छोड़ते हुये पत्थर वाले एरिया (मोरेन) से आगे बढ़ते गये. भूस्लखन प्रभावित इलाका होने के कारण बीच में कैम्प लगाना सम्भव नहीं था, इस कारण पूरी टीम आगे कैम्प के लिये बढ़ती गई.
9 अगस्त, 2009 को हम लोग 12228 फीट की ऊँचाई पर बेस कैम्प पहुँचे. बेस कैम्प में चारों ओर फूल खिले थे, अगस्त का महीना होने के कारण तरह तरह के फूलों से बेस कैम्प आच्छादित था. 10 अगस्त, 2009 को बेस कैम्प में ही पूरा सामान खोलकर चैक किया गया एवं आगे की रणनीति तय की गई. 11 अगस्त को एडवांस बेस कैम्प की रैकी एवं लोड फेरी हेतु सभी सदस्य गये, एडवांस बेस कैम्प 15180 फीट की ऊँचाई पर है. मेरा अनुभव रहा है कि जब मैं वर्ष 1997 में श्रीकण्ठ अभियान में गयी थी, उस समय हमें यहाँ पानी की दिक्कत नहीं हुई थी, जबकि इस समय 2009 में हमें खाना बनाने के लिये भी पानी नहीं मिल पाया. दूर जाकर ग्लेशियर से पानी लाना पड़ा और पत्थरों को खोदकर उसमें प्लास्टिक बिछाकर पानी एकत्रित करना पड़ा. इस कैम्प में ब्रह्मकमल, फेमकमल आदि फूलों की प्रजातियों ने टीम के सदस्यों व का स्वागत किया.
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12 अगस्त, 2009 को भी पुनः एडवांस बेस कैम्प की लौट फेरी की गई. 13 अगस्त, 2009 को बेस कैम्प में आराम करने के बाद सदस्यों ने अपने-अपने कपड़े व व्यक्तिगत स्वच्छता की. मौसम सुहावना था. 14 अगस्त, 2009 को बेस से एडवांस बेस कैम्प में शिफ्ट हुए. आज के दिन मौसम भी ठीक नहीं था. हल्की हल्की बूंदाबांदी हो रही थी, लेकिन लक्ष्य को छूने के लिये आगे बढ़ना ही था. 15 अगस्त, 2009 को पूरे दिनभर बारिश होती रही लेकिन टीम के सदस्यों के द्वारा एडवांस बेस कैम्प में 15180 फीट ऊँचाई पर स्वतन्त्रता दिवस के उपलक्ष्य में ध्वजारोहण किया गया. एडवांस बेस कैम्प से गंगोत्री तथा लक्ष्य पीठ माउन्ट श्री कण्ठ सामने दिखाई दे रहा था.
16 अगस्त को एडवांस बेस कैम्प से कैम्प 1 के लिये रैकी की गई. कैम्प 1 का रास्ता पथरीला (मोरेन) खड़ी चढ़ाई वाला था. कैम्प 1, 17158 फीट पर पत्थरों व चट्टानों पर लगाया गया. कैम्प से बन्दरपँछ, सुदर्शन, थलेसागर, जोगिन, गंगोत्री एवं बहुत सारे बेनाम पीक दृष्टिगोचर होते हैं. दक्षिण की ओर मुखबा आदि गाँव दिखाई देते हैं. शाम को वापस एडवांस बेस कैम्प लौटकर, दूसरे दिन की तैयारी करने लगे.
17 अगस्त, 2009 को पूरी टीम के द्वारा एडवांस बेस कैम्प से कैम्प 1 की लौटफेरी की गई. 18 अगस्त, 2009 को चुने गये सदस्य कैम्प 1 के लिये शिफ्ट हुए, जिसमें कुल नौ सदस्य थे जिसमें मेरे साथ, रिवानीशा, चन्दा, रेखा, डोलिन, ममता, बाली, राजल तथा अमरीन थीं. 19 अगस्त, 2009 को कैम्प 1 से आगे कैम्प 2 के लिये रूट ओपन करने के लिये रूट फिक्स किया गया. शाम को वापस कैम्प 1 आये. 20 अगस्त, 2009 को कैम्प 2 तक रोप फिक्स करने के बाद टीम के सदस्यों के द्वारा लौटफेरी की गई. शाम को कैम्प 1 वापस आये.
21 अगस्त, 2009 को आई.एल.टी. टूर पोर्टरों चन्द्रबहादुर, श्रवण कुमार, रवि चौहान, जसवीर बाद पँवार के साथ मैं आगे रूट खोलने के लिये वहीं कैम्प 2 (18125 फीट) पर रूकी, क्योंकि दूसरे दिन आगे बेस का रोप फिक्स करनी थी. 22 अगस्त, 2009 को दो दिन उत्तराखण्ड की सदस्य चन्दा एवं रेखा कैम्प 2 में रहने रही के लिये आये. अन्य सदस्य कैम्प 1 में ही रूक गये थे. 23 अगस्त, 2009 को आगे का रूट ओपन किया गया. जो लोग कैम्प 1 में थे, वे लोग भी कैम्प 2 में पहुँचे, मैं स्वयं लगातार 4 दिन तक रूट ओपन करने की वजह से कैम्प 2 में ही रूकी रही. एक सदस्य अमरीन का स्वास्थ्य खराब होने के कारण उसे एक पोर्टर के साथ एडवांस बेस कैम्प वापस भेजा गया. बाकी सदस्य वहीं रूके रहे.
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24 अगस्त, 2009 को सुबह के पाँच बजे चाय नाश्ता करने के बाद समिट में जाने की तैयारियाँ हो रही थी, लेकिन बर्फवारी के कारण आधे घण्टे तक कैम्प में ही रूके रहे. इस तरह सुबह के 06:30 बजे अपना लक्ष्य समिट के लिये निकल पड़े. आगे के रास्ते के लिये रोप फिक्स पहले ही हो चुकी थी. समिट में जाने के लिये जुमार का उपयोग किया गया. समिट में जाते समय पूरा रास्ता रौकी एरिया है, और बर्फ वाला हिस्सा है. रौकी एवं बर्फ वाला रास्ता होने के कारण क्रैम्पोन (जूते के नीचे पहनने वाला काँटे वाला जूता) काम नहीं कर रहा था. इस तरह पहला ग्रुप 01:00 बजे अपराह्न समिट पर पहुँचा, जिसमें ग्रुप लीडर के रूप में मेरे अलावा, रिवानिशा, डौली, चन्दा, रेखा शामिल थे. दूसरा ग्रुप 03:00 बजे अपराह्न में पहुँचा, जिसमें ममता, राजल, बाली आदि पहुँचे. हम लोगों को दूसरे ग्रुप के लिये 2 घण्टे तक की समिट पर रूकना पड़ा जबकि इस अवधि में बर्फवारी होती रही. दूसरे ग्रुप के समिट में पहुँचते ही खुशी से एक दूसरे के गले मिले व बधाई देते हुए पूजा अर्चना की, फोटो खिंचवाये और मौसम के खराब होने के कारण उसी पंक्तिबद्ध में वापस कैम्प 2 के लिये रवाना हुए.
इस तरह कैम्प 2 में सायं 07:30 बजे अंधेरे में पहुँचे, दूसरा ग्रुप रात्रि 09:00 बजे कैम्प 2 पहुँचा. इस तरह कुल आठ सदस्यों ने माउन्ट श्रीकण्ठ पीक समिट किया. ग्रुप लीडर के रूप में मेरे साथ-साथ, रिवानिशा, चन्दा, रेखा, डॉली, ममता बाली, राजल साथ ही हाई ऐल्टिट्यूट पोर्टर चन्द्रबहादुर, रवि चौहान, जसवीर पंवार ने समिट किया गया तथा श्रवण कुमार एक सदस्य को स्वास्थ्य खराब होने के कारण एडवांस बेस कैम्प वापस लेकर आये. इस टीम में हेड कुक त्रेपन सिंह, हेल्पर प्रेम बहादुर एवं सूरत सिंह थे.
25 अगस्त 2009 को सारा सामान पैक करते हुए एडवांस बेस कैम्प पहुँचे. कैम्प 1 में गर्मा गर्म चाय पीने के बाद थोड़ी राहत मिली. 26 अगस्त 2009 को पूरी टीम के साथ बेस कैम्प पहुँची और 27 अगस्त 2009 को सभी सदस्य पुनः एडवांस बेस कैम्प शेष सामान को लेने हेतु गये. दोपहर तक मध्यान् भोजन हेतु बेस कैम्प पहुँचे. 28 अगस्त, 2009 को पूरी टीम के साथ बेस कैम्प से चलकर उत्तरकाशी पहुँचे. 29 अगस्त, 2009 को जिलाधिकारी कार्यालय, उत्तरकाशी के कार्यालय में प्रेसवार्ता हुई जिसमें जिलाधिकारी श्री वी.वी.आर.सी. पुरूषात्तम, प्रधानाचार्य, नेहरू पर्वतारोहण संस्थान श्री आई.एस. थापा, टूर ऑपरेटर श्री करण सिंह कटियाल, होटल एसोशियशन के सदस्य श्री अजय परी, श्री दीपेन्द्र पंवार, मजर श्री राजन्द्र जमनाल. श्री राजेन्द्र सिंह पंवार एवं अन्य सभी गणमान्य व्यक्तियों के द्वारा पूरी टीम का गर्मजोशी के साथ स्वागत करते हुए सम्मानित किया गया.
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30 अगस्त 2009 को उत्तरकाशी से चलकर दिल्ली पहुँचे. 31 अगस्त 2009 को पूरे टीम का सामान भारतीय पर्वतारोहण संस्थान के कार्यालय में जमा किया गया. 01 सितम्बर, 2009 को भारतीय पर्वतारोहण संस्थान, नई दिल्ली के प्रेसीडेन्ट मेजर अलूहवालिया के द्वारा स्वागत करते हुए फ्लैग इन किया गया, इसके उपरान्त सभी सदस्य अपने-अपने गन्तव्य को चले गये.
इन्हीं उपलब्धियों के कारण, 24 अगस्त, 2009 को श्रीकण्ठ पीक का नेतृत्व करने के साथ-साथ 68 वर्ष की उम्र में समिट करने के कारण तथा वर्तमान समय तक पर्वतारोहण के क्षेत्र में जुड़े होने के कारण 13 नवम्बर, 2009 को इन्डियन माउन्टेन फाउन्डेशन के तत्वाधान में केन्द्रीय खेल मंत्री माननीय एम.एस. गिल के कर कमलों के द्वारा मुझे नैन सिंह किशन सिंह लाईफ अचीवमेन्ट पुरूस्कार से सम्मानित किया गय. आज भी, जब उस दिन को याद करती हूँ तो पुनः हिमालय में जाने की इच्छा जागृत होती है.
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चन्द्रप्रभा ऐतवाल का यह लेख अमटीकर 2010 से साभार लिया गया है.
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