सोरघाटी और उससे लगे गावों में आज और कल लोकपर्व चैतोल लोकपर्व मनाया जा रहा है. सोरघाटी के अतिरिक्त चैतोल गुमदेश में भी मनाया जाता है. मान्यता है कि इस लोकपर्व में भगवान शिव अपनी बहिनों को भिटौली भेंटने आते हैं.
(Chaitol Festival Pithoragarh Uttarakhand)
मानव और ईश्वर का ऐसा अनमोल रिश्ता केवल देवभूमि उत्तराखंड में ही देखने को मिल सकता है जहां मानव का विश्वास है कि ईश्वर स्वयं उसके हर सुख और दुःख का सच्चा साथी है. ईश्वर के द्वारा उपहार देने की यह अनूठी परम्परा देवभूमि की विशिष्ट दर्शाती है.
जाखपन्त गांव पिथौरागढ़ मुख्यालय से 16 किमी की दूरी पर है. जाखपन्त के सभी रहवासियों के घरों में घुमाई जाने वाली छात गांव के बीचों बीच स्थित खंडेनाथ माहादेव के मंदिर में बनती है. खंडेनाथ महादेव के मंदिर से जाखपन्त के अतिरिक्त दो अन्य गावों की छात भी निकलती है.
(Chaitol Festival Pithoragarh Uttarakhand)
तस्वीरों में देखिये इस वर्ष जाखपन्त गांव की चैतौल: (सभी तस्वीरें काफल ट्री के साथी अखिलेश बोहरा ने भेजी हैं)
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