केंद्र सरकार जनगणना 2021 में पहली बार अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को लेकर अलग से आंकड़े जुटाएगी. गृह मंत्रालय ने ओबीसी डाटा जुटाने के निर्देश दिए हैं. ओबीसी नेताओं की ओर से लंबे समय से पिछड़ी जातियों की जनगणना कराने की मांग की जा रही थी इसके पहले सरकार विपक्ष के तमाम अड़ंगों के बावजूद ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने में सफल रही है.
गृह मंत्रालय के मुताबिक घरों की सूची तैयार करने के लिए मैप और जियो चिप इस्तेमाल किया जाएगा. 25 लाख लोगों को इस जनगणना के लिए अलग से प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि 2021 की जनगणना को सही तरीके से 3 साल के भीतर पूरा किया जा सके.
आजाद भारत में यह पहला मौका होगा जब देश में ओबीसी वर्ग के अलग से आंकड़े जुटाए जाएंगे. इससे पहले 1931 में ओबीसी की जनगणना की गई थी. इसी के आधार पर वीपी सिंह सरकार ने ओबीसी को 27% आरक्षण दिया था.
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने अपने राज्य मंत्रियों और अधिकारियों के साथ 2021 के जनगणना की तैयारियों की समीक्षा की. मंत्रालय के मुताबिक इस बार जनगणना की प्रक्रिया पूरी होने के तीन साल के भीतर ही अंतिम रिपोर्ट तैयार कर ली जाएगी. अबतक इसमें सात से आठ साल का वक्त लग जाता था.
गौरतलब है कि 2019 के चुनाव से पहले ओबीसी वोट बैंक को साधने के लिए मोदी सरकार ने उनकी कई पुरानी मांगों को पूरा किया है. संसद के पिछले सत्र में ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने की 55 साल पुरानी मांग को पूरा किया है.देश के ओबीसी संगठन लंबे समय से ओबीसी आंकड़े जुटाने की मांग कर रहे हैं. ऐसे में केंद्र सरकार अपने इस फैसले को 2019 लोकसभा चुनावों में मुद्दा बना सकती है.
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