नैनीताल : नैनीताल जिला सीडीओ विनीत कुमार ने अधिकारियों को ऐसे निर्देश दे दिए, जिसे सुन अधिकारी भी हैरान रह गए. विकास भवन में 13 अगस्त को आयोजित बैठक में उन्होंने कहा कि सभी अधिकारी कुपोषित बच्चों के घरों में दो-दो पौधे रोपेंगे. जबकि हकीकत यह है कि जिले में सरकारी आंकड़ो के मुताबिक 92 अतिकुपोषित बच्चे हैं, इसमें से 45 बच्चों के घरों की ऐसी स्थिति नहीं है कि वहां पर पौधे लगाए जा सकें. बैठक के बाद जब यह मामला उनके संज्ञान में आया, तो उन्होंने कहा, इस तरह के बच्चों के लिए कोई व्यवस्था की जाएगी. क्या व्यवस्था करेंगे, फिलहाल उन्होंने स्पष्ट नहीं किया.
सीडीओ ने एक बार फिर कहा, कुपोषित बच्चों को अधिकारी गोद लें. अपना जन्म दिन या उनका जन्म दिन मनाएं. बच्चों का वजन और उंचाई की नियमित जांच की जाए. उन्होंने जिला कार्यक्रम अधिकारी अनुलेखा बिष्ट से इनके घरों में शौचालयों की स्थिति की रिपोर्ट देने के निर्देश दिए. ऐसे बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्रों में भेजने के लिए उनके अभिभावकों को जागरूक करने के लिए निर्देशित किया.
पूर्व जिलाधिकारी नैनीताल दीपक रावत के अलावा वर्तमान एडीएम हरबीर सिंह ने भी राजपुरा के अतिकुपोषित बच्चे गोद लिए थे. जैसे ही दीपक रावत का स्थानांतरण हुआ, उसके बाद उन कुपोषित बच्चों पर किसी की नजर नहीं पड़ी. एडीएम हरबीर सिंह के गोद लिए बच्चे भी अब ऐसे ही हैं. आंकड़ों के अनुसार कुमाऊँ में कुपोषित बच्चों की संख्या 14,379 है. इनमें सबसे बड़ी संख्या जिला नैनीताल और उधमसिंह नगर में है.
वर्तमान में सरकार द्वारा बच्चों के स्वास्थ्य संबंधी चलाई जा रही प्रमुख योजनाएं मिड डे मील, टेक होम राशन, 300 रुपये अतिरिक्त खाद्यान्न योजना, कुपोषित बच्चों के लिए 200 रूपये दलिया, मूंगफली सूजी आदि हैं.
जानकार कहते हैं कि अतिकुपोषित बच्चों व कुपोषित बच्चों के लिए संचालित योजनाओं का क्रियान्वयन ठीक से नहीं होता है. संबंधित अधिकारी महज औपचारिकता ही निभाते हैं. उन बच्चों पर पौष्टिक आहार पहुंच रहा है या नहीं, इसे भी नहीं देखते. इसलिए ऐसे बच्चे कुपोषण से बाहर नहीं आ पाते हैं.
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