अदालती पचड़े में फंसी चारधाम यात्रा मार्ग परियोजना
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने उत्तराखंड के चारधाम राजमार्ग परियोजना से पर्यावरण संबंधित मंजूरी के निपटारे वाली एक याचिका को एक बड़ी खंडपीठ के हवाले कर दिया. न्यायमूर्ति जवाद रहीम और एस पी वांगडी... Read more
खाल का अर्थ अलग-अलग है कुमाऊं और गढ़वाल में
गढ़वाली बोली बोले जाने वाले इलाकों में ‘खाल’ शब्द का सम्बन्ध पहाड़ की चोटी के नज़दीक स्थित उस गहरे और समतल भूभाग से होता है जहां से पहाड़ के दोनों तरफ के भूभाग देखे जा सकते हैं. कुमा... Read more
उच्च हिमालयी ट्रैकिंग पर लगा प्रतिबन्ध हटा
उत्तराखण्ड वन विभाग द्वारा जारी आदेश में उच्च हिमालयी क्षेत्रों में ट्रैकिंग का रास्ता साफ़ कर दिया है. कार्यालय प्रमुख वन संरक्षक, उत्तराखण्ड द्वारा इस पत्र में स्पष्ट किया गया है कि यदि “Al... Read more
हजारे का चूरा
आज न जाने कैसे अचानक ‘चूरे’ की याद आ गई- जैसे वर्षों बाद कोई बाल सखा सामने आ जाए. सचमुच यार चूरे तू भी क्या चीज था. अब न तू है, न अपना वो बचपन. पर तेरी यादें हैं, रहेंगी. मेरे हम उम्र वो सभी... Read more
कछुआ खरगोश की अल्मोड़िया कथा
पटवारी पद के सैकड़ों उम्मीदवार शारीरिक दमखम साबित करने के लिए दस किलोमीटर की दौड़ में हिस्सा ले रहे थे. वह भी एक उम्मीदवार था और कांखता-कराहता किसी तरह दौड़ रहा था. यह सोचकर वह हैरान था कि दौड़न... Read more
लंबी दाढ़ी वाला काज़ी (मराठी लोक कथा)
एक काज़ी साहब दिए की रोशनी में कोई पुरानी किताब पढ़ रहे थे. उसमें उन्होंने एक जगह पढ़ा “लंबी दाढ़ी वाले अक्सर बेवकूफ होते हैं” काज़ी साहब को बड़ी ख्वाहिश थी कि लोग उनकी अक्लमंदी का लोह... Read more
बगैर शिक्षकों के शिक्षा-व्यवस्था
शिक्षा एक समाज की नींव होती है, जो कि एक मजबूत तथा समृद्ध देश का गठन करती है. परन्तु भारतीय शिक्षा व्यवस्था वास्तव में शिक्षा का परिहास है, इसमें बिना बदलाव के हम एक स्वस्थ, मानसिक तथा शारीर... Read more
खुद बीमार हुई 108 एंबुलेंस
खंडूरी सरकार में बड़ी उम्मीदों से शुरू हुई और उत्तराखंड की लाइफ लाइन बन चुकी 108 एंबुलेंस सेवा अब खुद बीमार हो गई है. 108 एंबुलेंस के कर्मचारियों को न तो समय पर वेतन मिल रहा है और न ही गाड़ि... Read more
बुला रही है दारमा घाटी
दारमा घाटी को पिछले साल यानी 2017 में 18 साल बाद फिर से अनुभव करना एक खूबसूरत ख्वाब को जीने जैसा था. मैं यकीनन इसे उत्तराखंड ही नहीं समूचे हिमालय की सबसे खूबसूरत घाटियों में से एक मानता हूं.... Read more
रुहेलों की फ़ौज की हार हुई थी काठगोदाम में
अंग्रेजों ने 1815 में कुमाऊं का अधिग्रहण किया था. उससे पहले काठगोदाम एक छोटा सा गांव था जिसे बाड़ाखोड़ी या बाड़ाखेड़ी के नाम से जाना जाता था. राजा कल्याणचन्द के समय में उनके सेनापति शिवदत्त जोशी... Read more