बिनसर में इटली का संत
लम्बे धवल केश और वैसी ही लम्बी धवल दाढ़ी वाले उस खूबसूरत अंगरेज़ को देखकर किसी को भी धोखा हो सकता था कि वह धर्म-प्रचारक या बाबा टाइप की कोई चीज़ होगा. बिनसर-कसारदेवी-अल्मोड़ा के इलाके में चार-पा... Read more
ओ रुपसा रमोती
हमारे लोक की अनिन्द्य नायिकाएं – डॉ. प्रयाग जोशी लोक गाथाओं के साहित्यिक सौन्दर्य का संपूर्ण निदर्शन उनमें आई नायिकाओं के रूप में वर्णन हैं. उनका सौन्दर्य-सम्मोहन ही मंत्रियों व परियों... Read more
इतना हरा इतना बिनसर
अल्मोड़ा से कोई तीस-पैंतीस किलोमाटर दूर बिनसर वन्यजीव अभयारण्य की सुन्दरता बरसातों में कई गुना बढ़ जाती है. हरियाली का ऐसा विस्फोट होता है कि अमेज़न के रेन फॉरेस्ट्स की याद आ जाय. बरसातों में ब... Read more
एससी-एसटी एक्ट में संशोधन के विरोध में सवर्ण वर्ग के संगठनों की ओर से भारत बंद के आह्वान पर उत्तराखंड के अधिकतर जिलों में सुबह से ही बाजार बंद रहे. एक्ट में संशोधन को लेकर उत्तराखंड,मध्य प्र... Read more
अल्मोड़ा से 6 किलोमीटर दूर एक छोटी सी जगह है कसारदेवी. पिछले पचास से भी अधिक सालों से कसारदेवी दुनिया के पर्यटन मानचित्र पर अपनी एक अलग पहचान बना चुका है. कसारदेवी यात्रा का मन बना रहे हों और... Read more
समलैंगिकता को सुप्रीम कोर्ट की कानूनी मान्यता
सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बैंच ने गुरुवार को समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से हटा दिया है. इसके अनुसार आपसी सहमति से दो वयस्कों के बीच बनाए गए समलैंगिक संबंधों को अब अपराध नहीं माना जाएगा.... Read more
सोलहवीं सदी में बागेश्वर गए थे गुरु नानकदेव जी
उत्तराखण्ड में सिख सम्प्रदाय का प्रसार -1 सिख मत के साथ उत्तराखंड का संपर्क इसके प्रवर्तक गुरु नानकदेव जी के समय में ही हो चुका था. ज्ञानी ज्ञानसिंह द्वारा लिखे गए ग्रन्थ ‘गुरु खालसा’ में वर... Read more
ट्रेनिंग प्रोग्राम, नौकुचियाताल और सुसाइड पॉइंट
एक अरसा बीत गया था खुद को खुद से मिले हुए. बार-बार सोचती थी कि आखिर ये दूरी कैसे कम होगी. हालांकि इससे निकलने के लिए तमाम कोशिशें की. लंबी छुट्टी पर जानें की प्लानिंग भी, पर जिंदगी की तमाम झ... Read more
दिल टूटे हुए आशिकों का नया एन्थम सांग
साल 2008 था और गाना तूने मेरे जाना कभी नहीं जाना इश्क मेरा दर्द मेरा. यह गाना 2008 से 2009 तक आते आते भारतीय आशिकी का एन्थम सांग बन गया. हाईस्कूल से लेकर कालेज तक पढ़ने वाले हर गंभीर आशिक की... Read more
आजादी का आन्दोलन और इबलीस की खंभा प्रेस
अभिव्यक्ति की आजादी को कुचलने का प्रयास कितना भी किया जाए, लोग रास्ता निकाल ही लेंगे. ऐसा अंग्रेजों के जमाने में बरेली शहर में हुआ.ये वाकया है 1920 के बाद का, जब असयोग आंदोलन चला और ठंडा हो... Read more