प्राकृतिक विविधता और हर तरह के पर्यटक के अनुसार मनोरंजन साधनों के कारण नेपाल फिर से तेजी के साथ घुमक्कड़ों की पसन्द बनता जा रहा है. एवरेस्ट सहित अन्य हिमालयी चोटियों पर चढ़ने के लिए हर साल हजा... Read more
राज्य सरकार ने भले ही उत्तराखंड में 1 अगस्त से प्लास्टिक की थैलियों समेत सभी उत्पादों पर पूर्णतः प्रतिबन्ध लगा दिया हो लेकिन गंगा घाटों पर प्रदेश सरकार का आदेश लागू होते हुए नजर नही आ रहे है... Read more
सखा का आमलेट और कानपुर वाले रज्जू मामा के टमाटर
सखा की शादी हुए दो माह बीत गए थे. इस दौरान वे केरल और राजस्थान जाकर हनीमून निबटा आये थे. इन महीनों में उन्होंने अपने उन सभी अन्तरंग मित्रों को भी निबटा दिया था जिनके बगैर अपने लौंडयुग में वे... Read more
इक आग का दरिया था और डूब के जाना था – गणित का परचा
मशहूर कथाकार मुंशी प्रेमचंद को गणित हिमालय सी ऊँचाई का लगता था. आगे की कई पीढ़ियों को भी लगा. महावीर को उससे भी ज्यादा. पाँचवी का बोर्ड उसके लिए अभेद्य सा दुर्ग बन गया . चार साल से लुढ़कते-लुढ़... Read more
मथुरा के जमुनापार ने बनाया अपना सिनेमा
[दिल्ली में रहनेवाले संजय जोशी की जड़ें पहाड़ों में बहुत गहरे धंसी हुई हैं. वे नामचीन्ह लेखक शेखर जोशी के योग्य पुत्र हैं और पिछले तकरीबन दो दशकों से बेहतर सिनेमा के प्रचार-प्रसार के लिए प्रयत... Read more
एशियन गेम्स ख़त्म हो चुके हैं और पदक जितने वाले खिलाड़ी फिर से अगले किसी अन्तर्राष्ट्रीय खेलों तक गुमनामी के अंधेरों में धकेले जा चुके हैं. क्रिकेट के गुलाम हो चुके हमारे देश में टीवी पर जो थो... Read more
आज जहाँ पलायन उत्तराखण्ड की प्रमुख समस्या बना हुआ है वहीँ कुछ युवा ऐसे भी हैं जिनमें महानगरों के सुविधाजनक जीवन का त्याग कर अपनी जड़ों से जुड़ने और जीवन के नए रास्ते तलाशने का जज्बा दिखाया है.... Read more
एक थे गुलशन नंदा
एक थे गुलशन नंदा. हिन्दी में पल्प फिक्शन उर्फ लुगदी साहित्य के सबसे ज़्यादा बिकने वाले लेखक. अपने दौर, 60 से लेकर 80 के दशक तक, की दर्जनों सिल्वर जुबिली, गोल्डन जुबिली फिल्मों के लेखक. हिन्द... Read more
कितने धारों के बारे में जानते हैं आप?
उत्तराखण्ड की कुमाऊनी और गढ़वाली बोलियों में दो इलाकों के बीच की सामानांतर लेकिन उठे हुई भूमि को धार कहा जाता है. धार के दोनों तरफ ढलान होती है. अनुमानतः कुमाऊं-गढ़वाल में सैकड़ों धार हैं जिनके... Read more
गोपाल सिंह रमोला और उनके भट के डुबके
कुमाऊँ के की उर्वर सोमेश्वर घाटी में सोमेश्वर और बग्वालीपोखर के बीच एक जगह पड़ती है – लोद. इस छोटी और बेनाम सी बसासत को पिछले दस-बारह सालों में एक छोटी सी ढाबेनुमा दुकान ने खासा नाम दिलाया है... Read more