प्लूटो को फिर मिल सकता है ग्रह का दर्जा
बर्फीले बौने खगोलीय पिंड प्लूटो को फिर से ग्रह का दर्जा मिल सकता है. वैज्ञानिकों के एक समूह ने कहा है कि प्लूटो को सौरमंडल के एक ग्रह के रूप में परिभाषित किया जाना चाहिए. वैज्ञानिकों का मानन... Read more
जिसके हम मामा हैं – शरद जोशी एक सज्जन बनारस पहुँचे स्टेशन पर उतरे ही थे कि एक लड़का दौड़ता आया ‘मामाजी! मामाजी!’ – लड़के ने लपक कर चरण छूए वे पहचाने नहीं बोले –... Read more
घासकटिया छक्के मारने वाला बॉम्बर वेल्स
बहुत समय नहीं हुआ जब क्रिकेट अपने महान खिलाड़ियों के अलावा कुछ ऐसे नामों के कारण भी बहुत लोकप्रिय था जो अपने जीते जी दूसरे कारणों से गाथाओं में बदल जाया करते थे. ऐसे ही एक खिलाड़ी थे ब्रायन डग... Read more
देहरादून से आए समाचार बता रहे हैं कि बहुचर्चित राष्ट्रीय राजमार्ग एनएच 74 मुआवजा घोटाले की जांच के सिलसिले में त्रिवेंद्र रावत सरकार ने बड़ा एक्शन लिया है. सीएम त्रिवेंद्र रावत ने बयान दिया ह... Read more
फूलदेई से पहले खिलते हैं प्योंली के फूल
आसमान को छेदती, नुकीली ऊँची-ऊँची बर्फीली चोटियों की तलहटी में देवदार,भोज और रिंगाल के हरे-भरे सघन जंगलों के बीच एक गहरे अनछुये उड्यार (गुफा) में कच्ची हल्दी के साथ गुलाबी बुरांस-सी रंगत वाली... Read more
11 सितंबर 1893 यानि आज से लगभग 125 साल पहले का दिन, स्वामी विवेकानंद के उस भाषण ने भारत को वैश्विक पटल पर एक अलग पहचान दिलाई. जो उन्होंने शिकागो के धर्म संसद में बोला था. इस भाषण ने लोगों का... Read more
एक नई ईजाद है पहाड़ में टैक्सियों का पल्टी सिस्टम
पहाड़ में कार, बस या टैक्सी से सफर करने पर सबसे बड़ा सिरदर्द है – जी मिचलाना या उल्टी होना. गाड़ी के पहाड़ चढ़ते ही कुछ लोगों को चक्कर आने लगते हैं और कुछ उल्टी करते-करते पस्त हो जाते हैं.... Read more
एनसीईआरटी की किताबों के अलावा निजी प्रकाशकों की किताबों को जबरदस्ती लगाने के मामले में सरकार सक्रिय नजर आ रही है. प्रदेश के चार जिलों के 236 निजी स्कूलों ने एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों के अति... Read more
महादेवी वर्मा का उत्तराखण्ड प्रेम
(महादेवी वर्मा : 26 मार्च 1907 — 11 सितम्बर 1987) हमेशा श्वेत वस्त्र धारण करने, आजीवन सख्त तखत पर सोने और जीवन भर आईना नहीं देखने वाली. हिंदी की महान छायावादी साहित्यकार महादेवी वर्मा... Read more
बर्फ़बारी के स्वागत का उत्सव सेल्कु मेला
उत्तराखण्ड के ज्यादातर त्यौहारों, मेलों का स्वरूप अध्यात्मिक के साथ-साथ प्राकृतिक भी दिखाई देता है. यहाँ के लोग उत्सव प्रेमी हैं और ज्यादातर उत्सव प्रकृति के साथ इंसानी रिश्तों की गाथा समेटे... Read more