औषधियां उगाकर हो सकता है पहाड़ों का आर्थिक विकास
औषधीय पादप कृषि और उत्तराखंड उत्तराखंड भारत का नवीनतम हिमालयी राज्य होने के साथ-साथ इस वर्ष 2018 में वयस्क यानी 18 वर्ष का होने जा रहा है. यह मेरी नज़र में राज्य का दुर्भाग्य ही है कि 18 वर्... Read more
एक लेखक के बतौर मंटो की कहानियों को अपने नैरेटिव का हिस्सा बनाती इस फ़िल्म का क्राफ्ट इसकी सबसे बड़ी ख़ूबी के रूप में उभरता है, मेरी नज़र में. फ़िल्म के धारदार संवाद हों, नवाजुद्दीन, रसिका दुग्ग... Read more
शहरी संकटों की मांद में जच्चाघर
बीतती बारिश के दिनों में हम सामने पड़े खाली प्लॉट में कुत्तों को गदर मचाते देख रहे थे. प्लॉट में दुनिया भर की अवाट-बवाट चीजें पड़ी हैं. कुछ घास-पात उगा है और सुबह-शाम किनारे-किनारे गाड़ियां... Read more
तुम प्रेम में इतने डरे डरे क्यों हो
तुम प्रेम में इतने डरे डरे क्यों हो ? … और इसके उत्तर में काफ़ी देर शून्य में ताकता रहा. फिर जैसे उसने बहुत गहरे कुँए से अपनी आवाज़ को खींचा और बोला- मैं पश्चाताप का आदिपुरुष हूँ. कहीं भी कुछ... Read more
गंगनाथ ज्यू की कथा
गंगनाथ ज्यू काली नदी के पार डोटीगढ़ के रहने वाले थे. कांकुर उन की राजधानी थी. उनके पास डोटीगढ़ की रौथानगिरी थी. माता का नाम प्योंला रानी तथा पिता का नाम भवेचंद था. दादाजी का नाम केसरचन तथा दाद... Read more
दिल्ली से तुंगनाथ वाया नागनाथ – 3
(पिछली क़िस्त – दिल्ली से तुंगनाथ वाया नागनाथ – 2) कहे अनुसार सुबह ठीक छह बजे परशु गिलास भर कर चाय दे गया. मैं छत पर गया तो देखा, चारों ओर पहाड़ों पर सुनहरी धूप खिल रही थी. पीछे बहुत बड़े मैदान... Read more
कुमाऊं के इतिहास का एक और विस्मृत पृष्ठ
नीलू कठायत 1410 का साल भारत में तुगलक साम्राज्य उत्कर्षा की चरम सीमा में पहुंचकर पत्नोन्मुख हो चुका था. फिरोजशाह तुगलक की मृत्यु हो चुकी थी. विश्व विजेता तैमूर लंग की तुर्की सेना ने दिल्ली ल... Read more
मंटो क्यों लिखता था
मैं क्यों लिखता हूँ -सआदत हसन मंटो मैं क्यों लिखता हूँ? यह एक ऐसा सवाल है कि मैं क्यों खाता हूँ… मैं क्यों पीता हूँ… लेकिन इस दृष्टि से मुख़तलिफ है कि खाने और पीने पर मुझे रुपए ख... Read more
पर्वतसेनानी शमशेर सिंह बिष्ट ने यह लेख उत्तराखंड राज्य आन्दोलन के बीस वर्ष पूरे होने पर लिखा था. तब इसे नैनीताल समाचार ने छापा था. वहीं से इसे साभार लिया गया है. – सम्पादक Memoir of th... Read more
भारत की पहली बोलती फिल्म
भारत की पहली बोलती फिल्म आलम आरा, जिसके निर्माता इंपीरियल मूवी टोन के आर्देशिर ईरानी थे, मुंबई के मैजेस्टिक थिएटर में 14 मार्च 1931 को प्रदर्शित हुई थी. मुस्लिम पृष्ठभूमि पर आधारित आलम आरा ए... Read more