आसमान में धान बो रहा हूँ: विद्रोही की कविता
नई खेती -रमाशंकर यादव ‘विद्रोही’ मैं किसान हूँ आसमान में धान बो रहा हूँ कुछ लोग कह रहे हैं कि पगले! आसमान में धान नहीं जमा करता मैं कहता हूँ पगले! अगर ज़मीन पर भगवान जम सकता है त... Read more
शोला था जल बुझा हूं
मेहदी हसन को हम किस तरह याद करेंगे ये सोचना मुश्किल नहीं है क्योंकि उन्हें सुनते रहिए तो भूलने की हिमाकत हो ही नहीं पाएगी. मुश्किल तो ये सोच पाना है कि उन्हें भुलाया कैसे जाएगा. कोई रंग, कोई... Read more
आकाशमुखी लेखन का एंड्रॉयड युग
कथा-सम्राट मुंशी प्रेमचंद, स्कूल-इंस्पेक्टर थे. वे अक्सर देहातों में दौरों पर रहते थे. आवागमन के साधन तब बहुत सीमित होते थे. मजबूरन उन्हें वहीं रुकना पड़ता था. कामकाज के बाद, जन जीवन को गहरे... Read more
गुरुनानक की सिद्धियों का प्रतीक है नानकमत्ता
यह गुरुद्वारा उत्तराखण्ड राज्य के ऊधमसिंहनगर जिले में स्थित है. नानकमत्ता जिला मुख्यालय रुद्रपुर से टनकपुर जाने वाली सड़क में सितारगंज और खटीमा के बीच में है. पहले गोरखनाथ के अनुयाइयों के रहन... Read more
केओ कार्पिन के संग मौत का खेल
केओ कार्पिन के संग मौत का खेल – प्रिय अभिषेक कुछ चीज़ें ज़िन्दगी में किसी धूमकेतु की तरह आती हैं. आती हैं ,कुछ पल साथ रहती हैं और यकायक गायब हो जाती हैं. व्यक्ति के स्तर पर कोई खिलौना, व... Read more
उस कमरे में रामलीला का साजो सामान पड़ा रहता था. शाम के वक्त वह कमरा मोहल्ले के लड़कों के अड्डेबाजी के काम आता था. उसका नाम रामलीला क्लब पड़ गया जो कि बाद में घिसकर मात्र क्लब रह गया. लड़के श... Read more
कुमाऊं के इतिहास का एक और विस्मृत पृष्ठ- 2
नीलू कठायत- नीलू राजबुग पहुंचे जस्सा कमलालेख लिख से द्वार पर भेंट हुई. जस्सा ने बतलाया कि तल्ला देश भाबर पर संभल के नवाब ने अधिकार कर लिया है. उसकी सेना ने जनता पर गजब ढाया है. सैकड़ों मारे... Read more
हिंदी सिनेमा की पहली फ़सक
मदान थियेटर और इम्पीरियल भारत में पहली बोलती फिल्म से पहले फिल्म निर्माण की सनसे बड़ी दो कम्पनियां थी. बोलती फिल्म बनने के बाद इनके मालिकों के बीच एक नयी प्रतिस्पर्धा शुरू हो गयी. इमपिरयल के... Read more
ओ परुआ बौज्यू की गायिका बीना तिवारी के साथ मुलाकात
पिछली सदी के अंत तक जब टीवी का प्रचलन बहुत ज्यादा नहीं था, तब तक रेडियो ही आमजन के मनोरंजन का साधन था. जैसे-जैसे टीवी का प्रचलन बढ़ा, तथाकथित मनोरंजक चैनलों की बाढ़ आई और उसमें पारिवारिक दैन... Read more
पाब्लो नेरुदा से एक बातचीत
पाब्लो नेरुदा (12 जुलाई 1904 – 23 सितंबर 1973) की रहस्यमय -सी मृत्यु पर हिन्दी दुनिया में विशेष चर्चा नहीं हुई‐ शायद इसलिए कि उससे कुछ ही पहले नेरुदा को नोबेल पुरस्कार मिलने पर पक्ष-वि... Read more