(पिछली कड़ी से आगे) अपने भीतर घिरते जाने की कविताः आलोक धन्वा के बारे में -शिवप्रसाद जोशी आलोक धन्वा क्या थ्रिल के कवि हैं. क्या उनकी कविताएं कंपन और थर्राहट से भरी हुई हैं. वो कोयल बुलबुल ब... Read more
सूरज की मिस्ड काल – 9
उजाले के कमांडो आज सुबह जरा जल्दी जग गये. जल्दी मतलब पांच बजे. इत्ता जल्दी जगने पर समझ नहीं आया तो फ़िर पलटकर सोने की कोशिश की. लेकिन जैसे चुनाव में एक के चुनाव क्षेत्र की टिकट दूसरे को मिल ज... Read more
ट्रेल पास अभियान भाग – 4
पिछली कड़ी 30 सितम्बर के प्रातः एक नेपाली कुली को अल्यूमीनियम की सीढ़ी के शीघ्र बुढ़ियागल के नाले तक पहुंचाने हेतु भेजा गया, साथ में दो सदस्य भी सहायक के रूप में गये. राजेश शाह, राकेश शाह और कि... Read more
कुमाऊंनी लोकगीतों में सामाजिक चित्रण भाग 1
लोकगीतों से हमारा तात्पर्य लोक साहित्य के उन रूपों से है, जो प्रायः अलिखित रहकर जन-साधारण द्वारा निर्मित होते हुए एवं परंपरा से देश काल की विविध परिस्थितियों का चित्रण करते हुए उनके बीच प्रच... Read more
बायोमेडिकल वेस्ट यानी अस्पतालों से निकला हुआ कूड़ा. इस कूड़े से तमाम बीमारियां होने की आशंका बनी रहती है. इसे खुले में फेंकना दंडनीय अपराध है. इसके बावजूद मैदानी क्षे़त्रों के अलावा गाड़ गधेरों... Read more
कहो देबी, कथा कहो – 3
पिछली कड़ी वह पहली उड़ान मैंने आत्म निर्भर बनने के लिए अपनी पहली उड़ान भरी. रहने की जगह खोजने के लिए अपने सहपाठियों के साथ बात करनी शुरू कर दी ताकि जाड़ों की छुट्टियों के बाद डेरा बदल सकूं. हरीश... Read more
माफ़ करना हे पिता – अंतिम
(पिछली क़िस्त: माफ़ करना हे पिता – 6) लॉटरी उनसे तब तक नहीं छूटी जब तक सरकार ने इसे बंद न कर दिया. इस धंधे में असफल रहने का कारण उनकी नजर में मैं था. बकौल उनके- गुरू हम तो क्या का क्या क... Read more
मध्यकालीन गढ़वाल राजनीति का चाणक्य भाग – 2
पिछली कड़ी कूटनीतिज्ञ पूरिया नैथानी की दूसरी सबसे महत्वपूर्ण यात्रा 1680 में मुग़ल दरबार में रही. मुग़ल सम्राट औरंगजेब ने अपनी धार्मिक नीति के अंतर्गत 1665 ई. में हिन्दुओं पर जजिया कर लगाया था.... Read more
रहस्यमयी झील रूपकुंड तक की पैदल यात्रा – अंतिम
(पिछली क़िस्त का लिंक – रहस्यमयी झील रूपकुंड तक की पैदल यात्रा – 6) लौटते हुए ज्यादा परेशानी नहीं हुई पर अब बर्फ पिघलने लगी है इसलिये रास्ते में फिसलन हो गयी है जिससे चलने में परे... Read more
आज का लोकतंत्र और कटरा बी आर्ज़ू
कटरा बी आर्ज़ू जब पहली बार मैंने पढ़ना शुरू किया था तो यह मुझे साधारण से मुहल्ले की कहानी लगी थी-जैसा हर मुहल्ला होता है. राही साहब की पाठकों से सीधे एक रिश्ता बना लेने और अपने पाठ के बारे में... Read more