उत्तरायणी, उत्तरैण, पुसुणिया आदि नामों से मकर सक्रांति (Makar Sankranti) का त्यौहार उत्तराखंड में मनाया जाता है. उत्तराखंड के सभी त्यौहारों में मकर संक्रांति का अपना अलग महत्व है. इस दिन घरो... Read more
कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 84
डा. वासुदेव शरण अग्रवाल ने एक जगह लिखा है – “लोकोक्तियाँ मानवीय ज्ञान के चोखे और चुभते सूत्र हैं.” यदि वृहद हिंदी कोश का सन्दर्भ लिया जाए तो उस में लोकोक्ति की परिभाषा इस प्रकार दी गई... Read more
कोई भी प्रार्थना बेकार नहीं जाती स्वामी विवेकानंद: मैं समय नहीं निकाल पाता. जीवन आप-धापी से भर गया है. रामकृष्ण परमहंस: गतिविधियां तुम्हें घेरे रखती हैं. लेकिन उत्पादकता आजाद करती है. स्वामी... Read more
तीसरी कसम उर्फ मारे गये चिलबिल
अंतर देस इ उर्फ़… शेष कुशल है! भाग – 15 अमित श्रीवास्तव (पिछली क़िस्त: पप्पन पांडे का निबन्ध) गुडी गुडी में दो पाट थे और जैसा कि अमूमन होता है उन दोनों के बीच एक धार बहती थी. भले लोग उसे `मानू... Read more
12 जनवरी 1863 को कलकत्ता मे नरेन्द्रनाथ का जन्म होना फिर स्वामी रामकृष्ण परमहंस के संपर्क में आकर बालक नरेंद्र का स्वामी विवेकानंद बन जाना एक अलग कहानी है. उससे भी अधिक महत्वपूर्ण है शिकागो... Read more
स्वामी विवेकानन्द की उत्तराखण्ड यात्राएँ
स्वामी विवेकानन्द (Swami Vivekananda) ने अपने जीवनकाल में उत्तराखण्ड (Uttarakhand) की चार बार यात्रा की. स्वामी विवेकानन्द द्वारा अपने मित्रों को लिखे पत्रों, उनके साथ भारत आये उनके शिष्यों... Read more
कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 83
डा. वासुदेव शरण अग्रवाल ने एक जगह लिखा है – “लोकोक्तियाँ मानवीय ज्ञान के चोखे और चुभते सूत्र हैं.” यदि वृहद हिंदी कोश का सन्दर्भ लिया जाए तो उस में लोकोक्ति की परिभाषा इस प्रकार दी गई... Read more
उत्तराखण्ड का लोकपर्व उत्तरायणी
उत्तराखण्ड (Uttarakhand) का लोक पर्व उत्तरायणी अब करीब ही है. इस मौके पर होने वाले मेले सज चुके हैं और कुछ की तैयारी जोर-शोर से चल रही है. मकर संक्रान्ति का त्यौहार उत्तराखण्ड में उत्तरायणी,... Read more
पंतनगर के सन्नाटे में धांय-धांय
कहो देबी, कथा कहो – 28 पिछली कड़ी: कहो देबी, कथा कहो – 27, आसमान टूट पड़ा क्या नहीं था तब! वर्ष 1975 तक पंतनगर विश्वविद्यालय में 36 प्रमुख विषयों में स्नातक और 11 विषयों में स्नातकोत्तर तथा पी... Read more
रोजगार दिख नहीं रहा, यूबीआइ क्या गुल खिलाएगा
बड़ी अजीब स्थिति है भारत सरकार में बैठे रणनीतिकारों की। दुनिया के तमाम विकसित देशों की बराबरी का ख्वाब देखते हैं। कई बार इसी आधार पर नियम भी तय हो जाते हैं. हमारे देश की हकीकत क्या है, उन्हें... Read more