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बसंत में ‘तीन’ पर एक दृष्टिबसंत में ‘तीन’ पर एक दृष्टि

बसंत में ‘तीन’ पर एक दृष्टि

अमित श्रीवास्तव के हाल ही में आए उपन्यास 'तीन' को पढ़ते हुए आप अतीत का स्मरण ही नहीं करते वरन्…

2 months ago
अलविदा घन्ना भाईअलविदा घन्ना भाई

अलविदा घन्ना भाई

उत्तराखंड के प्रसिद्ध हास्य कलाकार घनानंद जी ’घन्ना भाई’ हमारे बीच नहीं रहे. देहरादून स्थित एक अस्पताल में आज दोपहर…

2 months ago
तख़्ते : उमेश तिवारी ‘विश्वास’ की कहानीतख़्ते : उमेश तिवारी ‘विश्वास’ की कहानी

तख़्ते : उमेश तिवारी ‘विश्वास’ की कहानी

सुबह का आसमान बादलों से ढका है, आम दिनों से काफ़ी कम आमदोरफ़्त है सड़क पर. दूर नज़र आती छोटा…

2 months ago
जीवन और मृत्यु के बीच की अनिश्चितता को गीत गा कर जीत जाने वाले जीवट को सलामजीवन और मृत्यु के बीच की अनिश्चितता को गीत गा कर जीत जाने वाले जीवट को सलाम

जीवन और मृत्यु के बीच की अनिश्चितता को गीत गा कर जीत जाने वाले जीवट को सलाम

मेरे नगपति मेरे विशाल... रामधारी सिंह दिनकर की यह कविता सभी ने पढ़ी होगी. इसके शब्दों, भाव में भी बहे…

2 months ago
अर्थ तंत्र -विषमताओं से परिपक्वता के रास्तों परअर्थ तंत्र -विषमताओं से परिपक्वता के रास्तों पर

अर्थ तंत्र -विषमताओं से परिपक्वता के रास्तों पर

भारत की अर्थव्यवस्था विषमताओं के अनेक दुश्चक्रोँ का सामना कर रही है. विकसित देश अपरंपरागत आर्थिक नीतियों से आतंकित कर…

2 months ago
कुमाऊँ के टाइगर : बलवन्त सिंह चुफालकुमाऊँ के टाइगर : बलवन्त सिंह चुफाल

कुमाऊँ के टाइगर : बलवन्त सिंह चुफाल

पर्वतीय सांस्कृतिक उत्थान मंच के संस्थापक अध्यक्ष रहे बलवन्त सिंह चुफाल हल्द्वानी वह भाबर के क्षेत्र में पर्वतीय समाज के…

2 months ago
चेरी ब्लॉसम और वसंतचेरी ब्लॉसम और वसंत

चेरी ब्लॉसम और वसंत

यहाँ धूप नहीं आती बस छाया है खिड़की के कोने से जो रोशनी आती है उस रोशनी में धूल के…

2 months ago
वैश्वीकरण के युग में अस्तित्व खोते पश्चिमी रामगंगा घाटी के परम्परागत आभूषणवैश्वीकरण के युग में अस्तित्व खोते पश्चिमी रामगंगा घाटी के परम्परागत आभूषण

वैश्वीकरण के युग में अस्तित्व खोते पश्चिमी रामगंगा घाटी के परम्परागत आभूषण

रामगंगा घाटी की स्थानीय बोली में आभूषणों को ‘हतकान’ कहा जाता है, इससे ज्ञात होता है कि प्राचीन समय में…

2 months ago
ऐपण बनाकर लोक संस्कृति को जीवित कियाऐपण बनाकर लोक संस्कृति को जीवित किया

ऐपण बनाकर लोक संस्कृति को जीवित किया

छोटी मुखानी में हुई ऐपण प्रतियोगिता पर्वतीय लोक संस्कृति ऐपण कला को संरक्षित व उसको बढ़ाने के उद्देश्य से छोटी…

2 months ago
हमारे कारवां का मंजिलों को इंतज़ार है : हिमांक और क्वथनांक के बीचहमारे कारवां का मंजिलों को इंतज़ार है : हिमांक और क्वथनांक के बीच

हमारे कारवां का मंजिलों को इंतज़ार है : हिमांक और क्वथनांक के बीच

मौत हमारे आस-पास मंडरा रही थी. वह किसी को भी दबोच सकती थी. यहां आज उसी का राज था. हमारे…

3 months ago