लोककला पर मोहन उप्रेती का एक महत्वपूर्ण लेख
विगत लगभग तीस-चालीस वर्षों से भारत के विद्वजनों का ध्यान लोक-परम्परा की ओर आकर्षित हुआ है, विशेषकर आज के तेजी से बदलते राजनैतिक, सामाजिक व आर्थिक परिवर्तनों के अनुरूप लोक कला को अपनाने की सम... Read more
उत्तराखण्ड में मृतात्माओं से जुड़े लोकविश्वास
उत्तराखण्ड अद्वितीय प्राकृतिक सुन्दरता और अनूठी लोकसंस्कृति से समृद्ध है. यहाँ के समाज में प्रचलित ढेरों किस्से-कहानियाँ मन को आनन्दित तो करते ही हैं, ये अलिखित इतिहास भी हैं. रोमांच से भर द... Read more
विरासत में मिलने वाली लोक कला ‘ऐपण’
उत्तराखंडी लोक कला के विविध आयाम हैं. यहाँ की लोक कला को ऐपण कहा जाता है. यह अल्पना का ही प्रतिरूप है. संपूर्ण भारत के विभिन्न क्षेत्रों में लोक कला को अलग-अलग नामों जैसे बंगाल में अल्पना, उ... Read more
‘‘…. मेरा जीवन संघर्षमय रहा. ऐसा नहीं है कि जीवन-यात्रा की शुरुआत के लिए मुझे किसी चीज की कमी रही हो. लेकिन मार्गदर्शन और संपर्क साधनों की हमेशा कमी रही. इसलिए मुझे स्वयं भटकते हुए इस... Read more
आज शैलेश मटियानी का जन्मदिन है
आज शैलेश मटियानी का जन्मदिन है. यह लेख 1996 में शैलेश मटियानी से हुई बातचीत का एक हिस्सा है जिसमें वह एक बड़ा उपन्यास को लिखने के विषय में बता रहे हैं. उपन्यास का शीर्षक उन्होंने तय कर लिया ह... Read more
एक महान कला साधक की रंगयात्रा का महत्वपूर्ण दस्तावेज है ‘स्मृतियों में मोहन उप्रेती’
पहाड़ी लोक गीतों को अपनी सुरीली धुनों से संवारने वाले मोहन उप्रेती के अनेक गीत और नाट्य प्रस्तुतियां आज भी जन मानस के मध्य जीवन्त बनी हुई हैं. यह मोहन उप्रेती की अलौकिक धुन का ही कमाल था कि... Read more
मनकोट के भट्ट के डुबके
चूल्हे पर एक नौजवान कायदे से लकड़ी सुलगा रहा है. बीच-बीच में उसका ध्यान कड़ाही से उठने वाले भाप पर भी जा रहा है. यह एक तरह की कला है, मैं इसे दुनिया भर की श्रेष्ठ कला में स्थान देता हूँ. यहा... Read more
वेशभूषा से किसी भी इलाके के स्थानीय निवासियों की पहचान होती है. ये वेशभूषाएं पारंपरिक तौर पर पीढ़ी-दर-पीढ़ी पहनी जाती हैं. ये पारंपरिक परिधान औए वेशभूषाएं कैसी होंगी यह कई बातों से तय होता ह... Read more
भारतीय इतिहास लेखन में क्षेत्रीय इतिहास की भूमिकाः उत्तराखण्ड के संदर्भ में
भारत के प्रथम ऐतिहासिक ग्रंथ राजतरंगिणी के रचियता कल्हण ने ठीक ही कहा है— श्लाध्यः स एव गुणवान् रागद्वेष बहिष्कृता भूतार्थकथने यस्य स्थेयस्येव सरस्वती अर्थात्, ‘वही गुणवान प्रशंसन... Read more
पहाड़ की आवाज हीरा सिंह राणा का जन्मदिन है आज
त्यौर पहाड़,म्यौर पहाड़रौय दुखों कु ड्यौर पहाड़बुजुरगूं लै ज्वौड़ पहाड़राजनीति लै ट्वौड़ पहाड़ठेकेदारुं लै फ़्वौड़ पहाड़नानतिनू लै छ्वौड़ पहाड़ग्वल न गुसैं,घेर न बाड़त्यौर पहाड़,म्यौर पहाड़…... Read more