भगत सिंह (28 सितम्बर 1907 से 23 मार्च 1931) हाल ही की बात है, मेरा एक दोस्त दिल्ली से आया था. उसने शहर पहुंचने के बाद पता जानने के लिए मुझे फोन किया. उसने बताया कि वह चौराहे पर एक बड़े से बुत... Read more
उत्तराखण्ड में इष्ट देवता
इष्ट देवता का सामान्य अर्थ है मान्य, आदरणीय, पूज्य देवशक्ति. लेकिन उत्तराखण्ड के सन्दर्भ में इसका अर्थ है वह देवी या देवता जिसे किसी परिवार, कुटम्ब अथवा समुदाय द्वारा वंशागत रूप से पूजा जाता... Read more
गाथा छिपला केदार की
पिथौरागढ़ जनपद के सीमान्त क्षेत्र के दर्जनों गाँवों में अधिशासित आराध्य देव छिपलाकेदार धारचूला तहसील के बरम से लेकर खेत तक के सभी गाँवों के इष्ट देव के रूप में स्थापित है. प्रति दो वर्ष में... Read more
संयुक्त परिवार के दौर में उत्तराखंड के समाज में कई तरह की परम्पराएं हुआ करती थीं. आधुनिक समाज में एकल परिवारों के चलन के बढ़ने के साथ ही इस तरह की कई परम्पराएं विलुप्त हो गयी हैं या होती जा र... Read more
भवाली में रामलीला की परम्परा
पिछली सदी के साठ के दशक का एक कालखण्ड ऐसा भी रहा, जब भवाली की रामलीला में पिता हरिदत्त सनवाल दशरथ के पात्र हुआ करते थे और राम तथा लक्ष्मण का किरदार उनके पुत्र पूरन सनवाल व महेश सनवाल निभाते... Read more
उत्तराखंड का वह गांव जिसकी गिनती भारत के पहले दस हॉन्टेड गावों में होती है
जब कभी भारत में भुतहा या हॉन्टेड गांव की बात आती है तो देश के पहले दस गावों की सूची में आने वाला एक गांव उत्तराखंड का भी है. यहां हॉन्टेड का अर्थ किसी गांव के खाली होने से नहीं है बल्कि गांव... Read more
कुटी गांव के राजा लिबिंग की कहानी
लोक परम्परा के अनुसार कुटी गांव का एक राजा था लिबिंग ह्मा. राजा लिबिंग की दो रानियां थी. एक तिब्बत की राजकुमारी और दुसरी भारत की ब्राह्मण कन्या. राजा लिंबिंग वह रानी जो भारत के ब्राह्मण परिव... Read more
एटकिंसन ने क्या लिखा है लोहाघाट के बारे में
काली कुमाऊं परगना और रगडुबान पट्टी में एक गांव और पुरानी फौजी छावनी हैं जो चम्पावत से 6 मील दूर लोह नदी के किनारे है. लोहाघाट छिरापाणी से 10 मील उत्तर में, बेपाल सीमा से 15 मील और अल्मोड़ा स... Read more
पिथौरागढ़ को सोर घाटी क्यों कहते हैं
पिछली कड़ी : पिथौरागढ़ जिले का नामकरण प्रथमतः पिथौरागढ़ के नामकरण को पढ़ने के बाद अब उसकी प्राचीनता की ओर बढ़ते हैं. पिथौरागढ़ को सोर घाटी कहा जाता है यहां यह जान लेना भी उचित होगा कि आखिर ये... Read more
श्राद्ध पक्ष में कौवे को क्यों महत्व दिया जाता – कुमाऊं क्षेत्र की मान्यता
इन दिनों श्राद्ध पक्ष चल रहा है. इसे पितृ पक्ष भी कहा जाता है.अपने पितरों को याद करने की इस परम्परा का उत्तराखंड में बहुत महत्त्व है और इस अवधि में खान-पान और रहन-सहन में अनेक तरह के नियंत्र... Read more