शुरुआती जीवन नौटी गांव से दो किमी की दूरी पर बैनोली नाम का एक गांव है मेरा जन्म वहीं हुआ था. मेरी शिक्षा दीक्षा भी उसी गांव में हुई. मैंने आठ तक वहीँ पढ़ा. मेरे पिताजी (त्रिलोक सिंह र... Read more
मिलिये पहाड़ में सरकारी स्कूल के तीन बच्चों से जिनकी फर्राटेदार अंग्रेजी वाले वीडियो से पूरा देश प्रभावित है
सामान्यरूप से किसी भी कलाकार को उसके जीवन का पहला मंच उसका स्कूल होता है. पहाड़ के कलाकारों की तो स्कूल, होली और रामलीला जैसे स्थानों में मजबूत नींव पड़ती है. पिछले कुछ दिनों से सोशियल मीडिया... Read more
“सन्तोष जोशी विजयपुर कांडा, बागेश्वर में शिक्षक हैं. कुछ दिन पहले ही सोशल मीडिया के माध्यम से जान पहचान हुई. फिर 3 दिन पहले उन्होंने झिझकते हुए एक वीडियो भेजा कहा कि भाईसाहब मैँ भी बच्... Read more
भारती कैंजा और पेड़ के साथ उनकी शादी
भारती कैंजा अपने भाई-बहिनों में सबसे छोटी है, लेकिन जीवट में सबसे बड़ी. वह कभी किसी से फालतू नहीं बोलती. जब वह आठ साल की रही होगी, अपनी बुआ के घर ढकाली गई हुई थी. (Memoir by Govind Singh) वहा... Read more
बहुत कम लोग होते हैं जो जीवन भर अपनी जड़ों से जुड़े रहते हैं. खास तौर से तब,जब कोई फर्श से अर्श तक का सफर तय कर लेता है और नाम शोहरत दोनों कमा लेता है. ऐसा ही एक नाम है रेसलिंग की दुनिया में... Read more
पिथौरागढ़ में पहली बस 1951 में आई थी
पिथौरागढ़ में पहली गाड़ी के विषय में कई किस्से कहानियां लोकप्रिय हैं. अधिकांश लोगों का मानना है कि यहां आने वाली पहली बस के.एम.ओ.यू. की बस थी, कुछ लोगों का कहना है कि बस नहीं पहली बार पिथौरागढ़... Read more
हल्द्वानी से हैड़ाखान रोड (भीमताल ब्लॉक) पर गांव पड़ता है गुमालगांव. अचानक वहां से गुजरते हुए नाक में बिस्कुट बेक होने की खुशबू घुसी ही थी कि सामने छोटी सी बेकरी दिखाई दी. (Delicious Handmad... Read more
अर्जुन का अवतार है कुमाऊं का ऐड़ी देवता
ऐड़ी (अहेरी) कुमाऊं मण्डल का एक बहुपूजित लोक देवता है. देवकुल में इसका महत्वपूर्ण स्थान है, सैम व गोरिया के समान इसकी पूजा सम्पूर्ण क्षेत्र में प्रचलित है. प्रमुख रूप से पशुचारक वर्ग का देवत... Read more
उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में चंपावत जिले में एक छोटा सा गांव है, मल्ली ग्विनाड़ा. यहां एक बड़ी नेक और जिंदादिल महिला रहती थी, नाम था गोपी देवी! प्यार से पूरा गांव उसे गोपुली आमा कहकर बुला... Read more
चम्पावत से ढकना गांव (चम्पावत-अल्मोड़ा पुराना पैदल मार्ग) तक तीन किमी. और ढकना से चम्पावत-मायावती पैदल मार्ग से लगभग चार किमी. की दूरी पर प्राचीन कुमाऊँ की स्थापत्यकला के एक अत्यंत उत्कृष्ट उ... Read more