कुमाऊँ में अलग विशेषताओं वाली जमीन के नाम
उत्तराखण्ड में अलग-अलग विशेषताओं वाली जमीन के लिए अलग शब्द या वाक्यांश इस्तेमाल किये जाते हैं. (Names of Land with Different Characteristics in Kumaon) ‘तलांव’ यानि निचाई वाली ऐसी जमीन जहां... Read more
पिथौरागढ़ के जाखपन्त गांव में चैतोल की तस्वीरें
सोरघाटी और उससे लगे गावों में आज और कल लोकपर्व चैतोल लोकपर्व मनाया जा रहा है. सोरघाटी के अतिरिक्त चैतोल गुमदेश में भी मनाया जाता है. मान्यता है कि इस लोकपर्व में भगवान शिव अपनी बहिनों को भिट... Read more
कुमाऊँ के पारंपरिक घरों की संरचना
कुमाऊँ के पारंपरिक गांव या गौं के मकान घर या कुड़ी कहे जाते हैं. घरों की निचली मंजिल गोठ हुआ करती है जहां पशुओं को बांधा जाता है. गोठ के आगे चौड़े बरामदे को गोठमल कहा जाता है. मकान की पहली म... Read more
समुद्र तल से 6000 फीट की ऊंचाई पर स्थित ‘मां भगवती कोकिला मंदिर’ की तस्वीरें
समुद्र तल से छः हजार फीट की ऊंचाई पर मौजूद है कनार गांव. कनार गांव जिसे की छिपलाकेदार का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है. कनार गाँव में ही मां भगवती कोकिला का विख्यात मंदिर है. कनार गांव की बरम... Read more
कोटगाड़ी भगवती मंदिर की तस्वीरें
कामनापूर्ति मैया कोटगाड़ी भगवती का मंदिर थल कोटमन्या रोड पर स्थित पांखू के पास स्थित है. कोटगाड़ी मंदिर में भगवती सात्विक वैष्णवी रूप में पूजी जाती है. न्याय की देवी अधिष्ठात्री के... Read more
नववर्ष के दिन बोया जाता है ‘हरेला’
माना जाता है कि चैत्र प्रतिपदा से नये साल की शुरुआत होती है आज के दिन से ही नवरात्रि भी होती है. पहाड़ों में आज के दिन उपवास रखा जाता है और कुछ जगहों पर आज के दिन हरेला भी बोया जाता है. हरेल... Read more
देहरादून का ऐतिहासिक झंडा मेला
झंडा मेला 350 वर्ष से भी पुराना ऐतिहासिक मेला है. होली के ठीक चार दिन बाद एक महीने तक चलने वाला झंडा मेला शुरू होता है. इस मेले में सुबह दरबार साहिब के बाहर स्थापित झंडे को उतारकर उसे दूध और... Read more
विरासत है ‘खन्तोली गांव’ की समृद्ध होली परम्परा
मुझे पहला मंच मेंरे गांव खन्तोली की होली में मिला. गांव के लोगों के प्रोत्साहन और शाबासी ने ही कुछ लिखने की प्रेरणा दी. मेंरे गुरु वास्तव में मेंरे गांव के लोग हैं, गाँव की होली है. क्या शान... Read more
शंखनाद से कम आध्यात्मिक नहीं हिमालयी मवेशियों के गले में बंधी तिब्बती घंटियों के सुर
हिमालयी चरवाहों के मवेशियों के गले में बंधी तिब्बती घंटियाँ और उनकी ध्वनि भी इन चरवाहों के जीवन की तरह ही गतिमान होती है. इन तिब्बती घंटियों की ध्वनि काफी तेज होने के बावजूद कानों को मधुर लग... Read more
कुमाऊं का सबसे समृद्ध कौतिक था ‘ठुल थल’
कुमाऊं में लगने वाले मेलों में थल का मेला सबसे महत्वपूर्ण मेलों में शामिल रहा है जो धार्मिक और व्यापारिक महत्वपूर्ण रहा है. कभी महीने महीने लगने वाला यह मेला अब केवल एक दिन तक सिमट कर रह गया... Read more