द्वार पूजा का पर्व भी है फूलदेई
उत्तराखण्डियों का बालपर्व – फूलदेई सनातनी संस्कृति में घर का द्वार केवल घर में प्रवेश करने का रास्ता न होकर वन्दनीय पूजनीय माना जाता है. घर बनाते समय द्वार की दिशा का निर्धारण वास्तुशा... Read more
बसंत पंचमी से प्रारम्भ बसंत मैदानी क्षेत्र में होली के साथ विदा ले लेता है पर पहाड़ में ये बैसाखी तक अपने पूरे ठाठ में देखा जा सकता है. मैदानी बसंत के प्रतीक-पुष्प टेसू, ढाक, कचनार, सरसों पह... Read more
कुमाऊं में होली की विधाएं
कुमाऊं में होली की चार विधाएं हैं – खड़ी होली, बैठकी होली, महिलाओं के होली, ठेठर और स्वांग. खड़ी होली का अभ्यास आमतौर पर पटांगण (गांव के मुखिया के आंगन) में होता है. यह होली अर्ध-शास्... Read more
कालीचौड़ गौलापार में स्थित काली माता का प्रख्यात मंदिर है. हल्द्वानी से 10 किमी और काठगोदाम से 4 किमी की दूरी पर स्थापित कालीचौड़ मंदिर के लिए काठगोदाम गौलापार मार्ग पर खेड़ा सुल्तानपुरी से... Read more
चौली की जाली मुक्तेश्वर: जहां शिवरात्रि में होती है संतान प्राप्ति की कामना पूर्ण
शिवरात्रि के पर्व मे आस्था का अनोखा मंजर सामने आता है मुक्तेश्वर के चौली की जाली नामक पर्यटक स्थल पर, सैकड़ों की तादाद मे इस दिन शादीशुदा महिलाएं, जिन्हें तमाम कारणों के चलते संतान सुख प्राप... Read more
भ्वींन को भ्वैन या भ्वैंनी भी कहते हैं. झोड़ा और चांचरी की तरह गाया जाने वाला यह समूह गीत वृत्ताकार घेरे में खड़े होकर गाया जाता है. विषयवस्तु और लय के आधार पर भ्वींन झोड़ों से बहुत अलग है. Tra... Read more
अतीत में बहुत स्वावलम्बी था हमारा पहाड़ी जनजीवन
कहते हैं आवश्यकता आविष्कार की जननी होती है. मानव सभ्यता ज्यों-ज्यों विकास के सोपान चढ़ती गयी, वैज्ञानिक सोच और तकनीकी कौशल ने हमारी जिन्दगी आसान तो जरूर बना दी, लेकिन शारीरिक श्रम के प्रति ह... Read more
बंसत पंचमी नये कार्यों की शुरुआत करने का पर्व है
बसंत ऐग्ये हे पार सार्यो मां, रूणक झुणक ऋतु बसंत गीत लगांदि ऐग्ये… आज से बंसत का आगमन हो गया है. बसंत पंचमी खुशियों की शुरुआत का त्योहार है. इस बार बसंत पंचमी दो दिन मनायी जा सकती है.... Read more
हमारे पहाड़ों में सभी लोग संक्रांत कोई त्यौहार में पूरे गांव बाखली में दो-दो पूरी और एक बड़ा (पैड) देने का रिवाज आज समाप्ति की ओर बढ़ता नजर आ रहा है. (Fading Customs in Uttarakhand) अब न तो... Read more
ऐसे बनायें घर पर ही शुद्ध पिठ्या
हिन्दू परिवारों में कोई उत्सव हो अथवा पारिवारिक रस्म, पिठ्या (रोली) के बिना रस्म पूरी नहीं होती. अमूमन लोग बाजार से लाये गये पिठ्या का ही उपयोग करते हैं. बाजार से खरीदे जाने वाले पिठ्या में... Read more