मैंने मुनस्यारी से 15 किमी दूर धापा गांव में सन् 1991 में जन्म लिया. तब गांव में न बिजली थी, न टीवी और न फोन. संस्कृति का मतलब फेसबुक में पोस्ट डालना या फोन में पहाड़ी गीत देखना नहीं था बल्क... Read more
मैदान में रहकर पहाड़ के लिये वॉव, ब्यूटीफूल, अमेजिंग, सुंदर, अद्वितीय, अद्भुत के सिवाय और किसी शब्द नहीं निकलते लेकिन इन पहाड़ों में रहने वाला आदमी ही जानता है माचिस की डिब्बी हो या नमक की पुड़... Read more
धुर परवादून की खूबसूरत जाखन नहर
देहरादून एयर पोर्ट से ऋषिकेश जाते हुऐ रानीपोखरी से पहले नदी पड़ती है. यह नदी बरसात को छोड़कर अक्सर सूखी ही नजर आती है. इस नदी का नाम जाखन है. जाखन नदी टेहरी जिले में कद्दूखाल चम्बा के मध्य स... Read more
रूमानी नहीं रौद्र होता है पहाड़ों का सावन
भूगोल न सिर्फ़ खानपान, वेशभूषा, आवास को बल्कि साहित्य को भी प्रभावित करता है. खासकर गीतों को. सावन को ही ले लीजिए. भारत के मैदानी क्षेत्रों की बात करें तो सावन सर्वाधिक रूमानी महीना है... Read more
तारा दत्त भट्ट की पहाड़ी जड़ी-बूटियों से बनी पकौड़ियों के मुरीद अटल बिहारी वाजपेयी तक थे
नैनीताल जिले के अंतर्गत आने वाला एक गाँव है मल्ला रामगढ़. भवाली से लगभग यही कोई 14 किमी के आस पास की दूरी पर स्थित मल्ला रामगढ़ में सन 1966 में दुर्गा दत्त भट्ट ने किराने की दुकान खोली. बाद... Read more
देहरादून के घंटाघर का रोचक इतिहास
ऐसी तस्वीर जिसको देखते ही हर देखने वाले की जुबान पर इस जिले का नाम आ जाये तो वह तस्वीर यहां के घंटाघर की हो सकती है. देहरादून का घंटाघर इस शहर की पहचान है. जहां आज घंटाघर है वहां पहले पानी क... Read more
हरेला पर हो हल्ला नहीं, रोपें संस्कारों के बीज
जी रया, जाग रया, यो दिन यो मासन भेटनै रया … सिर पर हरेला (हरे तिनके) रखते हुए इन आशीर्वाद रूपी वचनों से हम खुद को धन्य समझते हैं. जिसका मतलब है, जीते रहो, जागते रहो और इस दिन से आपकी ह... Read more
हिमालयी लोकगाथाओं में कृष्ण को नागों का राजा अर्थात नागराज कहा जाता है. कृष्ण के जन्म और बचपन को लेकर अनेक गीत गाये जाते हैं. Birth of Devki Kumaoni Folk Myth ऐसे ही एक गीत का सार नीचे दिया... Read more
प्रेत और उसका बेटा – कुमाऊनी लोककथा
बहुत समय पहले की बात है. एक आदमी की मृत्यु हो गयी. उसका 10-12 साल का एक ही बेटा था. The Ghost and his Son जब उस आदमी के शव को अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट ले जाया जा रहा था, उसके बेटे ने... Read more
तस्मै श्री गुरुवे नमः – गुरु पूर्णिमा पर विशेष
द्रोणाचार्य पहले राजकीय शिक्षक थे. भीष्म पितामह द्वारा नियुक्त. उनसे पहले भी कुछ रहे होंगे पर उनका स्टेटस कैबिनेट दर्जे वाला रहा. द्रोणाचार्य जी मिलिटरी साइंस में नियुक्त थे. थ्योरी का पेपर... Read more