आज भी जौलजीबी मेले का नाम सुनते ही लोगों के ज़हन में काली पार, एक खुले मैदान में खड़े घोड़ों की तस्वीर आ जाती है, कतार में खड़े हुम्ला-जुमला के घोड़े. कद में छोटे और व्यवहार में अधिकांश पहाड... Read more
आज से 102 साल पहले, साल 1918 के 11वें महीने का 11वां दिन और समय सुबह के ठीक 11 बजे. दुनिया ने चैन की साँस ली थी जब उसे पता चला कि पिछले चार साल से चला आ रहा प्रथम विश्वयुद्ध समाप्त हो गया है... Read more
पिछली एक सदी में यह पहली बार होगा जब ऐतिहासिक जौलजीबी के मेले का आयोजन नहीं किया जायेगा. 1962 के भारत तिब्बत युद्ध से पहले जौलजीबी का मेला भारत के सबसे बड़े व्यापारिक मेलों में शुमार था. काल... Read more
नकुलेश्वर मंदिर पिथौरागढ़ जिले में स्थित है. माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण पांडव भाइयों में नकुल द्वारा किया गया था इसीकारण इसे नकुलेश्वर कहा जाता है. सड़क से कुछ किमी की दूरी पर स्थित... Read more
पहाड़ की सड़कों पर अभी गाड़ियों की कमी थी. रोडवेज और केमू की बसें ही लोगों की यात्रा का सहारा था. छोटी गाड़ियां अभी नहीं के बराबर चलती थी. ये 1990 का साल था. इस साल की 18 अक्टूबर के दिन कुमा... Read more
पहाड़ में पेड़-पौंध और खेती-पाती का लोक नामकरण
पहाड़ में पेड़ पौंधों के प्रति आदर का भाव रहा है इसीलिए उन्हें वनदेवता-वनदेवी के रूप में धार्मिक आधार मिला. वृक्ष एवं वनों को सक्रिय तत्व के रूप में सम्मान दिया गया. इनसे प्राप्त कच्चा माल द... Read more
चुकिले दाड़िम का चूक
दाड़िम का पेड़ पहाड़ के सभी घरों में सामान्य रुप से देखा जा सकता है. दाड़िम का पेड़ यहां के लोक में कितना घुला मिला है उसे लोकगीतों से बखूबी समझा जा सकता है.(Dadim ka Chook) पेट चुकिलो चुक द... Read more
रामेश्वर मंदिर: सरयू और रामगंगा का संगम स्थल जहां भगवान राम ने शस्त्र और शास्त्र की शिक्षा ली
सरयू और रामगंगा का संगम सोर घाटी और इससे लगे गावों के लिये सदियों से पवित्र रहा है. लोक में मान्यता है कि देव डंगरी को शरीर में देवता के अवतरण से पहले सरयू-रामगंगा के संगम में एकबार स्नान जर... Read more
कुछ यों होती थी हमारे बचपन की रामलीला
वो भी क्या दिन थे? कोई 12-13 बरस की उमर रही होगी. रामलीला हमारे गांव से 5 मील दूर भवाली में हुआ करती. भवाली की रामलीला की क्षेत्र में अपनी अलग पहचान थी. रोज- रोज तो नहीं पूरी रामलीला के दरम्... Read more
सर्दियों में दुनिया भर में अलग अलग जगह के लोगों के अलग-अलग शगल हुये हैं. गुनगुनी धूप सेकना इनमें सबसे लोकप्रिय और आम हुआ. उत्तराखंड जैसे ठंडे प्रदेशों में धूप सेकना अपने आप में एक काम है और... Read more