जीवन यूं ही गुजर रहा था तुम्हारे बिना, तुम्हारी दूसरी बार छुट्टी आने की आस में. चिट्ठी का इंतजार रहता था. नजर रहती, पोस्ट ऑफिस से घर तक आने वाली उस संकरी, घुमावदार और चढ़ाई वाली पगडण्डी पर.... Read more
एक पहाड़ी बच्चे के पहली बार बाराती बनने का किस्सा
बचपन में हम लोग गांव के अलावा और कहीं शायद ही कभी जाते. हमारी दुनिया गांव तक सिमटी हुई थी. वहीं गांव, घर, खेत खलिहान और लोग. इसके बाहर हम नहीं जानते थे. पांच साल की उम्र तक मैं अपने गांव और... Read more
चौकोड़ी से केमू की बस पकड़ने की पुरानी याद
दादा के घर से चौकोड़ी, गोल टोपी सी दिखती है. लगता है जैसे प्रकृति ने चोटी को ठंड से बचाने के लिए टोपी पहना दी हो. चढ़ाई पार करते हुए फूँ-फाँ होने लगी तो उन्होंने बताया कि पार वो जो गाड़ी आते... Read more
उदय शंकर के अल्मोड़ा छोड़ जाने के पीछे जनश्रुतियां
उदय शंकर का कुमाऊँ के पर्वतीय क्षेत्रों विशेष रूप से अल्मोड़ा से प्रेम ही था जो नृत्य सम्राट को अल्मोड़ा खींच लाया. अल्मोड़े में सन 1938 में मुंबई जैसी कोई आधुनिक सुविधायें नहीं थीं. धार की... Read more
ग्यांजू: एक जोशीले सरल पहाड़ी की लोककथा
वह एक तो शरीर से टेढ़ा-मेढ़ा बेढब था, दूसरा दिमाग से पैदल था. कोई भी बात उसकी समझ में देर में आती थी या आती ही नहीं थी. काम ऐसा करता कि उसके ईजा बौज्यू उससे कुछ काम कराते ही नहीं थे. उसकी ईज... Read more
शहर लौटने से पहले आमा और पोते के मन का उड़भाट
जगथली गाँव से दादा का संदेशा आया है कि बुधवार की सुबह पहली बस से निकलेंगे. गंगोलीहाट-हल्द्वानी वाली केमो आठ बजे से पहले ही चौकोड़ी लग जाती है. मुन्ना को जल्दी पहुँचा देंगे तो सुविधा होगी. एक... Read more
कुमाऊँ की सीमान्त शौका सभ्यता से ताल्लुक रखने वाली अनिन्द्य रूपवती राजुला और उसके प्रेमी राजकुमार मालूशाही की प्रेमकथा हमारे इधर बहुत विख्यात है. जैसा कि हर लोक साहित्य के साथ होता है इस गाथ... Read more
इगास: वंचितों को समर्पित लोकपर्व
जो छूट गए, जो पिछड़ गए हैं और जो अधिकारों से वंचित रह गए हैं, सरकारें उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए कई योजनाएँ बनाती है. लोक-समाज, पर्व-त्योहार बनाता है. सबके हिस्से में हर्ष-उल्लास सुनिश... Read more
हिमालय की लोकदेवी झालीमाली
उत्तराखंड में देवी भगवती के नौ रूपों यथा- शैलपुत्री, ब्रहृमचारिणी, चन्द्रघंटा, कुशमांडा, स्कन्दमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धदात्री के अतिरिक्त अन्य कई स्थानीय रूप हैं. इनमें न... Read more
बीते चालीस सालों से भगवान बदरी विशाल के मंदिर में रोज सुबह और रात नौबत बजाने वाले प्रभु दास जी का निधन हो गया. अनेक विपरीत परिस्थितियों के बावजूद प्रभु दास जी बिना थके भगवान बदरी की सेवा में... Read more