‘उस्ताद अमानत हुसैन’ कुमाऊनी शास्त्रीय होली के जनक
इस बात में कोई दोराय नहीं है कि कुमाऊं क्षेत्र में का आगमन मथुरा के आस-पास के इलाकों से हुआ है. कुमाऊं में गाई जाने वाली होलियों बृज और खड़ीबोली का स्पष्ट प्रभाव देखा जाता है. कुमाऊनी में गा... Read more
1935 में जब टिहरी में पहला रेडियो आया
बात 1935 की है, रियासत टिहरी पर महाराजा नरेन्द्रशाह का शासन था. रियासत भर में महाराजा के पास ही एकमात्र रेडियो था. लेकिन इस रेडियो को साधारण नागरिक क्या, राज्य के उच्च अधिकारी भी न देख सकते... Read more
हल्द्वानी के सिनेमाघरों का इतिहास
नगर से महानगर हो चुके हल्द्वानी ने अपने आसपास के गांवों को भी अपने में सम्मिलित कर लिया है. मुखानी क्षेत्र में पर्वतीय रामलीला कुछ दिनों तक आकर्षण का केंद्र हुआ करती थी जो अब बंद हो चुकी है.... Read more
हल्द्वानी की सब्जी मंडी का इतिहास
आज उत्तराखण्ड की प्रमुख मण्डी के रूप में हल्द्वानी स्थापित है. पूर्व में यहां मण्डी का कारोबार मंगल पड़ाव, मीरा मार्ग (पियर्सनगंज), रेलवे बाजार, महावीर गंज में था. महावीरगंज को रहीम गंज कहा... Read more
आज ‘नशा नहीं रोजगार दो’ आन्दोलन को पूरे 38 साल हो चुके हैं. इस आंदोलन पर नैनीताल समाचार ने 1 सितम्बर, 1984 को “पहाड़ आंदोलित है” शीर्षक से एक विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की थी. शराब आज उत्तराखं... Read more
भारतवर्ष में सर्वप्रथम सन् 1921 ई० में “जयहिन्द” नारे का उद्घोष करने वाले महान देशभक्त श्री रामसिंह धौनी का जन्म 24 फरवरी सन् 1893 ई० में अल्मोड़ा जिले के तल्ला सालम पट्टी में तल... Read more
उत्तराखंड के इतिहास का एक महत्वपूर्ण दिन है आज
देश की आजादी के पांच महीने बाद, जनता के शासन की मांग करना और इस मांग के लिए शहादत होना, सुनने में कुछ अजीब सा लगता है. लेकिन उत्तराखंड की तत्कालीन टिहरी रियासत में 11 जनवरी 1948 को दो नौजवान... Read more
पिथौरागढ़ नगर से जुड़े कुछ रोचक पहलू
पिथौरागढ़ का मुख्य बाजार पुराना बाजार था जो शिवालय मंदिर से प्रारंभ होकर नेहरु चौक तक की सीढियों तक था. इसमें मुख्य रूप से पपदेऊ और पितरौटा के स्वर्णकारों की दुकान, शाह एवं खत्रीयों की मिठाई... Read more
वन अनुसंधान संस्थान ‘एफआरआई,’ देहरादून का इतिहास
भारत में जब अंग्रेजों ने अपने पैर पसारना शुरू किया तो उन्हें उत्तर भारत के विशाल जंगलों का महत्त्व जल्द ही समझ आ गया. विश्व इतिहास में यह एक ऐसा समय था जब नौसेना ही किसी भी देश की निर्णायक श... Read more
नैनीताल अपने शुरुआती दिनों से ही अंग्रेजों की पंसदीदा जगहों में से एक रही है. नैनीताल को लेकर यहां रहने वाले अंग्रेजों ने अलग अलग समय में खूब लिखा भी है. अंग्रेजों के इन लेखों से पता चलता है... Read more