कुमाऊं शब्द का पुराणों से अभिलेखों तक उल्लेख
जिस स्थान को वर्तमान में कुमाऊं कहा जाता है मध्य हिमालय के इस भाग के लिए पौराणिक ग्रन्थों में कूर्मांचल नाम का प्रयोग किया गया है. कुमाऊँ शब्द की उत्पत्ति के बारे में सबसे मान्य तथ्य है कि च... Read more
जब आई थी काठगोदाम में पहली रेल
न तराई-भाबर में रहने वाले इंसानों को अंदाजा था न यहां के घनघोर बियावान में रहने वाले जानवरों को कि पिछले कुछ सालों से जंगल में हो रही खटर-पटर का नतीजा क्या होना है. फिर आया 24 अप्रैल 1884 का... Read more
(23 साल की उम्र में देश की आज़ादी के लिए शहादत देने वाले भगत सिंह ने तब तक इतना कुछ लिख दिया था जो आज भी रौशनी देता है. ब्रिटिश भारत में होने वाले दंगों के बारे में यह लेख भगत सिंह ने 1928 मे... Read more
वीजा के लिए इंतजार : अमेरिकी विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में शामिल आंबेडकर की जीवनी का हिस्सा
विदेश में लोगों को छुआछूत के बारे में पता तो है लेकिन इससे वास्तविक सामना नहीं पड़ने के कारण वे यह नहीं जान सकते कि दरअसल यह प्रथा कितनी दमनकारी है. उनके लिए यह समझ पाना मुश्किल है कि बड़ी स... Read more
उत्तराखण्ड में वर्तमान शिक्षा प्रणाली का पहला स्कूल 1840 में श्रीनगर में खुला
1823 में ट्रेल ने लिखा — यहां सार्वजनिक स्कूलों जैसी कोई संस्था नहीं है. व्यक्तिगत तौर पर होने वाली पढ़ाई-लिखाई भी उच्च वर्ग के कुछ ही लोगों तक सीमित है. इन लोगों को ब्राह्मण शिक्षकों द्वारा... Read more
ब्रिटिश कुमाऊं में औषधीय खेती की शुरुआत
नौर्मन गिल ने बैलाडोना की खेती 1910 से ही शुरू कर दी थी. उस समय बैलाडोना का (एटरोपा बैलाडोना), की खेती, स्थानीय हकीम औषधि के लिये थे. इसके बीज को मई में बोने से जुलाई में 12 फीट ऊँचा पौधा मि... Read more
चौबटिया के ‘चहाबगिच’
अंग्रेजों को कुमाऊं और गढ़वाल की जलवायु, प्राकृतिक रचना, वनस्पति आदि अपने देश की जैसी लगी सो अंग्रेजों ने अपनी पलटन और उनके परिवारों के ग्रीष्मकालीन आवास हेतु स्थान चयन के लिए मेजर लेंग को क... Read more
नैनीताल घूमने आयें तो इन जगहों पर जरूर जाएँ
कुमाऊँ क्षेत्र में नैनीताल जिले का विशेष महत्व है. देश के प्रमुख क्षेत्रों में नैनीताल की गणना होती है. यह ‘छखाता’ परगने में आता है. ‘छखाता’ नाम ‘षष्टिखात... Read more
कुमाऊनी भाषा की पहली पत्रिका ‘अचल’
1937 में साल के अंत-अंत तक कुमाऊनी में एक पत्रिका का विचार जीवन चन्द्र जोशी के दिमाग में जगह बना चुका था. अपनी बोली में एक पत्रिका निकालने के लिये इस बानगी ‘शक्ति’ और ‘कुमाऊं कुमुद’ अखबारों... Read more
शहादत दिवस विशेष : भगत सिंह आज़ादी के नायक हैं
भगत सिंह (28 सितम्बर 1907 से 23 मार्च 1931) मूर्तियाँ नायक नहीं गढ़तीं, नायकत्व बुतों का मोहताज नहीं होता. भगत सिंह इस बात के सर्वश्रेष्ठ उदाहरण हैं. आप एक हैट के नीचे कुछ अनगढ़ रेखाओं से रो... Read more