यूनेस्को की विश्व सांस्कृतिक संपदा सूची में शामिल कुमाऊनी रामलीला का इतिहास
कुमाऊं अंचल में रामलीला के मंचन की परंपरा का इतिहास लगभग 160 वर्षों से भी अधिक पुराना है. यहाँ की रामलीला मुख्यतः रामचरित मानस पर आधारित है जिसे गीत एवं नाट्य शैली में प्रस्तुत किया जाता है.... Read more
नैनीताल जिले का छोटा सा कस्बा मुक्तेश्वर अंग्रेजों की देन है. लिंगार्ड नामक एक अंग्रेज ने इसकी खोज की और उसके बाद ब्रिटिश हुकूमत ने अनुसन्धान कार्यों के लिए इसको चुना. धीरे-धीरे आजादी के बाद... Read more
उत्तराखंड का वन आन्दोलन जवान होने लगा था. सुन्दर लाल बहुगुणा की ओजस्वी वक्तृता व लेखन, चंडीप्रसाद भट्ट के अनथक प्रयास, कामरेड गोविंद सिंह रावत के ‘ठेकेदारो सावधान, आ गया है लाल निशान’ के जनव... Read more
महान क्रांतिकारी रास बिहारी बोस देहरादून में 65 रुपये की तनख्वाह पर नौकरी करते थे
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में रास बिहारी बोस सर्वाधिक समय तक सक्रिय रहने वाले क्रांतिकारी हैं. रास बिहारी बोस से जुड़ी पहली सबसे बड़ी घटना है – हार्डिंग बम काण्ड. हार्डिंग बम क... Read more
क्या आवश्यक हैं रामलीला में अशोभनीय प्रसंग?
सीता स्वयंवर व धनुष यज्ञ प्रसंग में अनेक रामलीलाओं में फूहड़ता देखने को मिलती है. धनुष तोड़ने आये राजाओं की वेशभूषा, भाषा बोली और उनके द्वारा बोले व गाये जाने वाले संवाद और गीत दर्शकों को खटकत... Read more
गढ़वाली चित्र शैली के प्रमुख आचार्य, कुशल राजनीतिज्ञ, कवि, इतिहासकार मौलाराम का उत्तराखण्ड के इतिहास में अद्वितीय, अविश्वमरणीय योगदान है. इनको सर्वप्रथम प्रकाश में लाने का... Read more
अल्मोड़ा के वैज्ञानिक श्रीकृष्ण जोशी की उपलब्धियों को विश्व के तमाम प्रकाशनों में जगह मिली थी. लिम्का बुक ऑफ़ रेकॉर्ड्स में उनके नाम पर यह प्रविष्टि दर्ज है – (Limca Book of Records al... Read more
उन्नीसवीं शताब्दी में अल्मोड़ा नगर के दो सगे भाइयों ने अपने क्षेत्रों में ऐसा काम कर दिखाया था जिस पर प्रत्येक कुमाऊनी गर्व कर सकता है. ज्येष्ठ भाई देवीदत्त जोशी ने कुमाऊँ में गेय पद्धति पर आ... Read more
तब हम रानीधारा की सड़क में दौड़ लगाते थे. दस बारह वर्ष के रहे होंगे या चौदह-पन्द्रह के. सन 1940 से 1945 तक का समय था. धीरेन्द्र उप्रेती, मोहन पांडे और मैं और हरी-भरी दूर्वादल से ढंकी पैदल सड़क.... Read more
कभी ऐसा भी एक गुप्त संगठन था अल्मोड़ा में
सारे देश की तरह कुमाऊँ में भी जहाँ अधिकतर लोग महात्मा गांधी के पदचिन्हों पर चलकर स्वतंत्रता संग्राम में अग्रणी रहे, वहीं यहाँ के नवयुवकों ने अपने ढंग से कुछ ऐसे कार्य किये जिनसे तत्कालीन ब्र... Read more