तमाम जुड़ावों के बीच पद्मा दत्त पांडे के साथ बाबा हैड़ाखान को लेकर मेरा मतैक्य नहीं हो सका. वे 1970 में बाबा हैड़ाखान के भक्त बन गए और कुछ ऐसी अविश्वसनीय बातों की चर्चा उनके बारे में करने लग... Read more
सन् 1988 में पीपुल्स कालेज के साथ ‘जेम पार्क’ यानी रत्न उद्यान की अखाड़ेबाजी कुछ समय तक चर्चा का विषय बनी रही. कहा गया कि सौभाग्य, श्रृंगार और वैभव का प्रतीक अब न केवल हल्द्वानी नगर, कुमाऊॅं... Read more
1982 में जब एनडी तिवारी हेमवती नन्दन बहुगुणा के बाद मुख्यमंत्री बने, उस समय यहां के जंगलों में भीषण आग लगी हुई थी. आग में कई लोग झुलस गये थे और दुर्घटना हुई. उ.प्र. विधानसभा में वनों की आग क... Read more
वर्तमान में हल्द्वानी नगर में बड़े अस्पतालों की संख्या गिनती से बाहर हो गई है. एक से एक काबिल डॉक्टर यहां अपने विशाल हाईटेक क्लीनिक खोल कर बैठ गए हैं. लोग कहते हैं कि जिन बीमारियों के इलाज क... Read more
पहाड़ से आये लोग हल्द्वानी में सम्पन्न घरों के बजाय आम घरों में मेहमान बनना पसंद करते थे
सन 80 से पहले पहाड़ी क्षेत्रों को मैदानी क्षेत्रों से जोड़ने वाली यातातया व्यवस्था वर्तमान के मुकाबले बहुत ही कम थी. तब आज की तरह सरपट रात-दिन भागने वाले छोटे वाहनों की भी कमी थी. Forgotten... Read more
साठ के दशक में हल्द्वानी का समाज
सन् 1970 तक शादी-ब्याह की रस्में भी यहां ठेठ ग्रामीण परिवेश में ही हुआ करती थीं. न्योतिये प्रातः पहुँच जाते और साग सब्जी काटना, हल्दी-मसाले घोटना, टेंट कनात लगाने में सहयोग करना, आदि में जुट... Read more
सन् 1970 से पहले यहाँ बहुत से घरों में बिजली भी नहीं थी. 1956 में नैनीताल रोड पर डीजल पावर हाउस नामक भवन में डीजल से बिजली बनाने का संयंत्र लगाया गया था. सेंटपाल्स स्कूल के ठीक सामने खण्डहर... Read more
गोविन्द बल्लभ पंत कृषि प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय को स्थापित किए जाने के पीछे क्षेत्र में जिस व्यवहारिक व मूलभूत क्रांति का उद्देश्य निहित था, विपरीत उसके क्षेत्र अधकचरी औद्योगिक क्रान्ति की... Read more
तराई भाबर में जमीनों की लूट का इतिहास
तराई भाबर में भूमि व्यवस्था भी एक विवादास्पद विषय बनी रही है. यहाँ की जमीनों की लूट का अपना एक अलग ही इतिहास रहा है. यहाँ के बीहड़ इलाके को बसाने के लिए ब्रिटिश शासन काल में यहाँ एक खाम अधिक... Read more
नैनीताल का मालिकाना पर्सी बैरन के छल से अंग्रेजों ने नरसिंह थोकदार से हथियाया
सन 1842 में शिकार के शौक़ीन मि. पर्सी बैरन के द्वारा नैनीताल का पता लगा लेने तक यहां पर एक झोपड़ी तक नहीं हुआ करती थी. इस समय नैनीताल झील और इसके आसपास का जंगल थोकदार नरसिंह के अधिकार क्षेत्... Read more